अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सुफलाम सम्पन्न

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सुफलाम सम्पन्न

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सुफलाम सम्पन्नअंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सुफलाम सम्पन्न

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, भाऊराव देवरस संस्थान एवं किसान संघ के संयुक्त तत्वाधान में 7 जनवरी से शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी सुफलाम (पृथ्वी तत्व) का सोमवार को समापन हुआ।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश जोशी (भैय्याजी जोशी) ने कहा कि विश्व को सही राह कौन बताएगा, भारत विश्वगुरु बनेगा तो यह दायित्व निभा सकता है। हम समय-समय पर अपने विचार विश्व के सामने रखते हैं। वास्तव में मानव ने अपनी त्रुटिपूर्ण गतिविधियों से जड़-चेतन के समक्ष संकट खड़ा करने का कार्य किया है। आज आवश्यकता है, उसे सही दिशा बताने की ताकि सभी का कल्याण हो सके।

जगद्गुरु संत ज्ञानेश्वर दास महाराज ने कहा कि अब समय आ गया है, जब किसानों को प्राकृतिक खेती, जैविक खेती एवं जीव सुफलाम (पृथ्वी तत्व) धारित खेती के प्रति जागरूक करना होगा। सभी को जैविक खेती एवं रासायनिक खेती के तुलनात्मक अध्ययन से मिले परिणामों के सम्बन्ध में बताने की आवश्यकता है।

अखिल भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने तीन दिनों तक संगोष्ठी में संचालित विभिन्न सत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम अध्यक्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि आज सम्पन्न वर्ग के लोग वॉटर फिल्टर प्लान्ट एवं बोतल का पानी पीते हैं, जबकि सामान्य व्यक्ति को यह उपलब्ध नहीं हो पाता, आने वाले समय में भू-जल की स्थिति चिन्ताजनक हो सकती है। आज जनसंख्या के एक बड़े वर्ग को संतुलित पोषण नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में जमीन, पानी, और पहाड़ को एक जीव माना गया है। आज इनके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आन्दोलन चलाने की आवश्यकता है ताकि सामान्य लोग इससे जुड़ सकें।

स्वागत उद्बोधन कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. यशवन्त सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो. राकेश सिंह ने दिया।

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