अन्याय का प्रतिकार : फिल्म मौड़ (2023)
डॉ. अरुण सिंह
अन्याय का प्रतिकार : फिल्म मौड़ (2023)
अंग्रेजी कुशासन ने भारतीय समाज और संस्कृति में विध्वंस पैदा करने हेतु अनेक विद्रूपताएं खड़ी कीं। कुछ देसी राजा महाराजा अंग्रेजों के आदेशों पर आम जनता पर अत्याचार करते थे। पंजाब भी इस से अछूता नहीं था। फिल्म “मौड़” (2023) ऐसे ही वृतांत का उदाहरण है। यह ऐतिहासिक कहानी दो आम पंजाबी भाइयों की है, जो देसी और अंग्रेजी सत्ता के शासन से त्रस्त होकर डाकू बन जाते हैं और अत्याचारियों से लोहा लेते हैं। अंग्रेजी कुशासन के दौरान निर्बल और निर्धन लोगों पर भारी लगान और उनकी भूमि हड़पना आम बात थी।
किसना वीर हिन्दू पुरुष है। अपने परिवार और समुदाय की रक्षा के लिए वह क्रूर अंग्रेजी सत्ता से भिड़ जाता है और काला पानी में दम तोड़ता है। यहां विशेष बात यह है कि किसना सच्चा सनातनधर्मी है और मित्र धर्म का पूर्ण समर्पण से निर्वाह करता है। उसका मुस्लिम मित्र डोगर उसकी पीठ में छुरा घोंपता है अंग्रेजों का “ख़बरी” बनकर। अंग्रेज अफसर हर्टन उसे काला पानी ले जाता है। यह भारतीयों के मन में घोर यातना का भय उत्पन्न करने हेतु किया जाता था।
प्रतिशोध की भावना छोटे भाई जेओना को भी उसी राह पर ले जाती है। नैना देवी का भक्त जेओना सामंती अत्याचारियों तथा डोगर का वध कर देता है और धूर्त अंग्रेजों को बखूबी छकाता है। वह निर्धन और वंचितों की सहायता करता है। अन्याय के विरुद्ध चट्टान बनकर खड़ा हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी की उसके ऊपर अपार कृपा थी।
फिल्म में एमी विर्क और देव खरोड का अभिनय आकर्षित करता है।