अफशां आशिक: पुलिस पर पत्थर फेंकने से गोलपोस्ट में फुटबॉल तक का सफर

अफशां आशिक: पुलिस पर पत्थर फेंकने से गोलपोस्ट में फुटबॉल तक का सफर

जम्मू कश्मीर में बदलाव की बयार

आशीष कुमार ‘अंशु’

अफशां आशिक: पुलिस पर पत्थर फेंकने से गोलपोस्ट में फुटबॉल तक का सफर

अफशां आशिक मानती हैं कि अब कश्मीर के लोगों की सोच में बदलाव आया है। कश्मीरी बुज़ुर्ग अब लड़कियों को आगे आने के लिए सपोर्ट कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर की 25 साल की महिला फुटबॉलर अफशां आशिक देश के उन शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने 24 सितंबर को फिट इंडिया डायलॉग सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। अफशां आशिक की एक फोटो दिसंबर 2017 में सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। उस तस्वीर में वह जम्मू-कश्मीर पुलिस पर पत्थर फेंकती दिख रही थीं।

अफशां जम्मू-कश्मीर फुटबॉल टीम की गोलकीपर रही हैं। साल 2019 में इंडियन वीमन्स लीग में एससी कोलापुर सिटी की जानिब से भी उन्होंने खेला है। अफशां श्रीनगर में खिलाड़ियों को ट्रेनिंग भी देती हैं।

अफशां आशिक के अनुसार उन्होंने जब इस खेल का आगाज़ किया था तो उस वक्त ऐसा माहौल नहीं था। वह विपरीत परिस्थितियों में कश्मीर के अंदर फुटबॉल खेल रही थीं। वे मानती हैं कि अब कश्मीर के लोगों की सोच में बदलाव आया है, कश्मीरी बुज़ुर्ग अब लड़कियों को आगे आने के लिए सपोर्ट कर रहे हैं। अफशां को स्पोर्ट्स में बचपन से ही दिलचस्पी थी और इस बात के लिए परिवार में किसी ने भी उन्हें कभी नहीं रोका, हमेशा परिवार का उन्हें सपोर्ट हासिल रहा।

अफशां ने पहले क्रिकेट से शुरूआत की और फिर अचानक उन्होंने क्रिकेट को छोड़कर फुटबॉल को चुन लिया। यह बात उनके पिता को भी पसंद नहीं आई थी और घर में अक्सर अफशां को सुनने को मिलता था कि फुटबॉल में तो लड़कियों का कोई स्कोप नहीं है। अफशां आशिक ने कड़ी मेहनत और अपनी प्रतिबद्धता के दम पर जिसे सब नामुमकिन मान रहे थे, उसे सम्भव कर दिखाया।

दिसंबर 2017 की बात है जब अफशां की जम्मू-कश्मीर पुलिस पर पत्थरबाजी करने की तस्वीरें राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। सोशल मीडिया पर वायरल नकारात्मक तस्वीर ही उनकी प्रारम्भिक पहचान बनी और आज अफशां ने अपनी उस पहचान को पूरी तरह बदल लिया है।

वायरल तस्वीर में वे जम्मू-कश्मीर पुलिस पर पत्थर फेंकती दिख रही थीं। पत्थर फेंकती तस्वीर में अफशां का चेहरा दुपट्टे से ढंका था। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने तोड़ती पत्थर कविता लिखी थी। जिसमें पत्थर तोड़ने वाली महिला को उन्होंने इलाहाबाद की सड़क पर देखा था। दूसरी तरफ सड़क पर पत्थर फेंकती आफशां थीं, जिसे देश ने कश्मीर की सड़क पर पत्थर फेंकते देखा था।

वैसे कैमरे में कैद तस्वीर के पीछे की कहानी से लगता है कि जो भी हुआ वह एक हादसा ही था। आफशां के अनुसार — कोठी बाग के गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल की 20 लड़कियों की टीम जब फुटबॉल के अभ्यास के लिए खेल के मैदान में पहुंचने वाली थी, उसी दौरान उन्होंने सड़क पर कुछ लड़कों को पुलिस पर पथराव करते हुए देखा। पत्थरबाजी कर रहे लड़के पुलवामा डिग्री कॉलेज में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

लड़कों के प्रदर्शन को देखकर कौतुहलवश अफशां आशिक 20 लड़कियों के साथ वहीं रुक कर पत्थरबाजी देखने लगी। इस तरह झुंड बनाकर कॉलेज के पास खड़े होने की वजह से पुलिस को लगा कि ये लड़कियां भी पत्थरबाजी के लिए खड़ी हैं। फिर क्या था, पुलिस के एक सिपाही ने आगे बढ़कर एक लड़की को थप्पड़ मार दिया। इसके बाद लड़कियों को गुस्सा आ गया। उन्होंने आव देखा ना ताव पथराव शुरू कर दिया।

अफशां के अनुसार यह उनके द्वारा की गई पत्थरबाजी की पहली और आखिरी घटना थी। उस घटना के बाद अफशां ने जम्मू-कश्मीर में महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने का फैसला किया। वर्तमान में वह अपनी टीम की गोलकीपर हैं। पिछले साल वह इंडियन वुमन्स लीग में एफसी कोल्हापुर सिटी की ओर से खेली थीं। वह श्रीनगर में युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग भी देती हैं और अफशां युवा खिलाड़ियोें के लिए एक प्रेरणा भी हैं।

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