अरबन नक्सलियों की पहचान उजागर करना आवश्यक

अरबन नक्सलियों को पहचान कर बेनकाब करना जरूरी - एडवोकेट अरोड़ा

अरबन नक्सलियों को पहचान कर बेनकाब करना जरूरी - एडवोकेट अरोड़ा

  • उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र का महाराणा प्रताप जयंती समारोह

उदयपुर, 14 जून। देश की संसद पर हमला करने वाले अपराधी की बरसी मनाने वालों, आतंकवादियों के पक्ष में नारे लगाने वालों और देश को तोड़ने वाले नारे लगाने वालों को जो कतिपय बुद्धिजीवी लोग मासूम कहकर अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देते हैं, वे कतिपय बुद्धिजीवी ही अरबन नक्सल हैं जो देश को तोड़ने वाली ताकतों को हर वक्त बैक सपोर्ट करते हैं। इनमें कम्युनिस्ट तो हैं ही, लेकिन कांग्रेस भी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से समर्थन करती दिखाई देती है।

यह बात सुप्रीम कोर्ट की विख्यात एडवोकेट मोनिका अरोड़ा ने सोमवार को उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ की ओर से वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती समारोह के तहत आयोजित संवाद में कही। ‘अरबन नक्सल एवं बंगाल की भयानक कहानियां’ विषय पर उन्होंने कहा कि अब तक देश की जनता के पास ऐसे साधन नहीं थे, जिनसे ऐसे अरबन नक्सलियों की पहचान हो सके, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में अब यह आसान हो गया है। चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। देश विरोधी कृत्य करने वाले अपराधियों के लिए रात को कोर्ट खुलवाने वालों के चेहरे सामने आ रहे हैं। नक्सलियों – आतंकवादियों द्वारा हमारे जवानों के मारे जाने पर चूं तक नहीं बोलने वाले कश्मीर में सेना पर पत्थर फेकने वालों को मासूम बताते हुए मानवाधिकारों की दुहाई देते हुए यूएन तक जा रहे हैं, उनके भी चेहरे अब देश का आम आदमी पहचान रहा है। सोशल मीडिया इसमें काफी सहायक साबित हुआ है कि कौन देश के प्रति समर्पण का विचार रखता है और कौन अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देशविरोधी कृत्य करने वालों को समर्थन देकर अपनी रोटियां सेंकता है। एडवोकेट अरोड़ा ने कहा कि कोई ऐसे ही देश विरोधी तत्वों का समर्थन नहीं करता होगा, कहीं न कहीं तो किसी न किसी तरीके का लाभ उसे प्राप्त हो ही रहा होगा।

बंगाल में चुनाव के बाद जारी हिंसा पर अरोड़ा ने कहा कि वहां चुन-चुन कर जयश्री राम का नारा लगाने वालों को यह जताकर मारा जा रहा है कि और लगाओ जयश्री राम के नारे। इस हिंसा पर उन कतिपय बुद्धिजीवियों की अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई कहीं नजर नहीं आ रही है। बंगाल की कहानियों को देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों तक पहुंचाया जाना जरूरी है, तभी यह समझ में आएगा कि घुसपैठियों को गैरकानूनी तरीके से अपने लाभ के लिए वोटर बना देने वाले देश को तोड़ने का अपराध कर रहे हैं। इस देश ने 1947 का बंटवारा देखा है, रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ के बाद अब रक्तरंजित दृश्य बंगाल में उसी तरह का अंदेशा पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-बांग्लादेश से सताये हुए हिन्दुओं को पूर्व की सरकारों ने संभाला तक नहीं, जबकि रोहिंग्या मुसलमानों के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड जरूर मिल जाएंगे। अरोड़ा ने कहा कि अब देश की मोदी सरकार ने सीएए के तहत भारतदेश में संरक्षण की आस लेकर आए पीड़ित हिन्दू परिवारों को नागरिकता का अधिकार प्रदान किया है, जबकि अब तक की सरकारें सिर्फ चर्चा ही करती रहीं हैं।

एडवोकेट अरोड़ा ने कहा कि देश का युवा अरबन नक्सलियों को पहचाने और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें जवाब देते हुए बेनकाब भी करे, ताकि सभी देशवासियों को पता चल सके कि भारत का हित सोचने वाले कौन हैं और देश विरोधी कौन हैं।

इससे पूर्व, ऑनलाइन काव्य सरिता एवं प्रेरक प्रसंग प्रतियोगिता फेसबुक पेज एवं यूट्यूब पर हुई। काव्य सरिता का ऑनलाइन आयोजन वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के उपाध्यक्ष मदन मोहन टांक के स्वागत उद्बोधन के साथ हुआ। उन्होंने महाराणा प्रताप एवं चित्तौड़ की भूमि को नमन करते हुए ‘भारत भूमि वो भूमि है जिसकी बलिदानी थाती है’ रचना प्रस्तुत की। ऑनलाइन प्रेरक प्रसंग प्रतियोगिता में प्रतिभागियों के प्राप्त वीडियो में से 3 प्रतिभागियों का चयन किया गया। परिणाम की घोषणा 20 जून को की जाएगी।

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