संघ स्वयंसेवकों ने एशिया के सबसे बड़े जर्जर पड़े अस्पताल को रेनोवेट कर कोविड सेंटर में बदला

संघ स्वयंसेवकों ने एशिया के सबसे बड़े जर्जर पड़े अस्पताल को रेनोवेट कर कोविड सेंटर में बदला

संघ स्वयंसेवकों ने एशिया के सबसे बड़े जर्जर पड़े अस्पताल को रेनोवेट कर कोविड सेंटर में बदला
कोलार, कर्नाटक। मेहनत, दूरदर्शिता और सेवाभाव में संघ स्वयंसेवकों का कोई सानी नहीं। कोविडकाल में वे हर रोज नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। महामारी में दवाइयों, ऑक्सीजन, अस्पतालों में बिस्तरों की मारामारी के बीच उन्होंने सेवा, समर्पण, मेहनत और दूरदर्शिता का नया उदाहरण प्रस्तुत किया है।

बात है कर्नाटक के कोलार की। यहॉं का बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ तक एशिया का सबसे बड़ा कहा जाने वाला ब्रिटिशकालीन भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड अस्पताल (BGML अस्पताल) दो दशकों से अधिक समय से जर्जर अवस्था में पड़ा था। संघ स्वयंसेवकों ने जब इसे पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया, तब लोगों ने इसे असम्भव सा कार्य बताया। लेकिन स्वयंसेवकों की लगन व मेहनत ने इसे सम्भव बना दिया।

आरएसएस कार्यकर्ता प्रवीण एस के अनुसार, आरएसएस के स्वयंसेवकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अस्पताल की सफाई करना था। अस्पताल से 400 ट्रैक्टर से अधिक कचरा हटाया गया। उन्होंने कहा, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, तब अस्पताल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। अस्पताल में चारों ओर चमगादड़ों का डेरा था और 2-3 इंच ऊंचे मिट्टी के टीले थे। यह जालों से भरा हुआ था। जब हमने इस कार्य को अपने हाथ में लिया तो कई लोगों को संदेह था कि क्या हम इस कार्य को पूरा कर पाएँगे। लेकिन आरएसएस, विहिप व सेवा भारती के स्वयंसेवक तथा जन जागरण समिति व भाजपा के कार्यकर्ता अस्पताल की सफाई के अपने संकल्प पर अडिग थे। हमने यह काम 27 अप्रैल को शुरू किया था और सात मई तक पाँच एकड़ के इस पूरे परिसर की सफाई का काम पूरा कर लिया गया।

वर्तमान में, एक अस्पताल के रूप में सुविधा को पूरी तरह कार्यात्मक बनाने के लिए काम चल रहा है। अस्पताल में आईसीयू सुविधाओं के साथ चार कमरे होंगे। बिजली और पाइपलाइन का काम जोरों पर चल रहा है। अधिकारियों ने 140 साल पुरानी लोहे की चारपाई का उपयोग करने का भी फैसला किया है।

प्रवीण ने इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में बताया, “चारपाई लगभग 140 साल पुरानी है और इसका वजन 100 किलो से अधिक है। वे पर्याप्त रूप से मजबूत हैं और उसे उठाने के लिए कम से कम 3-4 लोगों की आवश्यकता होती है। हालाँकि फोर्जिंग की सभी पुरानी तकनीकें हैं, फिर भी आप एक और सदी या उससे अधिक के लिए चारपाई का उपयोग कर सकते हैं।”

यह अस्पताल 1880 में डॉ. टीजे ओ’डोनेल और उनके भाई जेडी ओ’डोनेल द्वारा स्थापित किया गया था और इसमें 800 बिस्तरों की क्षमता है।

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