उठो जगो और लक्ष्य बनाओ

उठो जगो और और लक्ष्य बनाओ

श्रुति

उठो जगो और और लक्ष्य बनाओ

उठो जगो और लक्ष्य बनाओ
अपनी दृष्टि को सुलझाओ
जो विचार कमजोर बनाते
उनसे अपना मार्ग बचाओ।

यह शिक्षा है स्वामी जी की                                              भारत माता के सपूत की                                                  धर्म ध्वजा के वाहक थे वह
बने विश्व धर्म सम्मेलन विजयी।

भारत मां के राज दुलारे
अद्भुत गुणी नरेंद्र हमारे
ज्ञान पुंज अलौकिक न्यारे
स्वीकारें प्रणाम हमारे।

जब देश हुआ था पराधीन
आत्म विश्वास हुआ था हीन
मां दुर्गा तब आशीष दीन
जीवित कर दो तुम प्रजा क्षीण।

नव प्राण धर्म में फूंके थे
सन्यासी बनकर घूमे थे
जब धर्म पताका फहराई
भारत मां मन में मुस्काई।

थे सौम्य मूर्ति तुम ज्ञान वान
काली मां के थे तुम वरदान
मां सरस्वती के प्रबल पुत्र
प्रतिभा शाली शिव के रुद्र।

स्मृति अब शेष तुम्हारी है
स्वामी जी की बलिहारी है
कुछ शब्द पुष्प अर्पण करती
नित ध्यान तुम्हारा हूँ धरती।

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