एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दिखा ‘लघु भारत’ का दृश्य

एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दिखा 'लघु भारत' का दृश्य

एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दिखा 'लघु भारत' का दृश्यएबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दिखा ‘लघु भारत’ का दृश्य

जयपुर, 25 नवंबर। विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार को गुलाबी शहर के नाम से चर्चित जयपुर में शुरू हुआ। तीन दिवसीय अधिवेशन में पड़ोसी देश नेपाल के साथ ही भारत के दो दर्जन राज्यों के लगभग 1500 छात्र-छात्राएं हिस्सा ले रहे हैं। देश के विभिन्न राज्यों के छात्र-छात्राओं को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो यहां ‘लघु भारत’ उपस्थित है।

25 नवंबर से शुरू हुआ यह अधिवेशन 27 नवंबर तक चलेगा। इसकी औपचारिक शुरुआत शाम 04:45 बजे योग गुरु बाबा रामदेव करेंगे। सुबह 11:30 बजे एबीवीपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत ने ”स्वावलम्बी भारत तथा युवाओं की भूमिका” विषय पर अपने विचार रखे,  जिसे सुन युवाओं में जोश भर गया। बीच बीच में होने वाले ”भारत माता की जय” और ”वन्देमातरम” के उद्घोष से युवा होते भारत का अनायास ही दर्शन होता रहा।

जयपुर स्थित जेईसीआरसी विश्वविद्यालय में आयोजित इस तीन दिवसीय अधिवेशन में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर, असम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत 24 प्रदेशों के 1500 छात्र-छात्राएं शामिल हैं।

राष्ट्र पुनर्निर्माण के उद्देश्य से कार्य में सन्नद्ध एबीवीपी विश्व का सबसे बड़ा छात्र-संगठन है। नौ जुलाई, 1949 को अस्तित्व में आने वाले इस संगठन की स्थापना का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी बलराज मधोक को जाता है। स्थापना के बाद मुंबई के प्रोफेसर यशवंत राव केलकर इसके मुख्य कार्यवाहक बने। इसी दौरान विद्यार्थी परिषद ने ज्ञान, शील और एकता के नारे को अपनाया। यही नारा आज विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बना है। विद्यार्थी परिषद न केवल भारत, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है।

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