संघर्षपूर्ण लेकिन प्रेरक कहानी तीन महिलाओं की

संघर्षपूर्ण लेकिन प्रेरक कहानी तीन महिलाओं की : आशा कंडारा

संघर्षपूर्ण लेकिन प्रेरक कहानी तीन महिलाओं की : आशा कंडाराआशा कंडारा

कहानी आशा कंडारा की : सफाईकर्मी से आरएएस बनने तक का सफर

जोधपुर के बड़वासिया मोहल्ले की रहने वाली आशा कंडारा आरएएस में चयन से पहले जोधपुर की सड़कों पर झाडू लगाया करती थीं। आशा की शादी 1997 में जोधपुर के एक व्यक्ति से हुई थी, परन्तु शादी के पांच वर्ष बाद पति से अलगाव हो गया था। आशा ने हिम्मत नहीं हारी। 12वीं के 16 वर्ष बाद स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। नगर-निगम में सफाई कर्मचारी के पद पर रहते हुए लगातार 2 वर्षों तक उन्होंने सड़कों पर झाडू लगाते हुए न केवल अपनी पढ़ाई जारी रखी बल्कि विपरीत परिस्थितियों में अपने दो बच्चों का बराबर पालन-पोषण भी किया। आशा ने 2018 में आरएएस की परीक्षा दी। जिसका परिणाम अभी आया है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर आशा ने सिद्ध कर दिया कि व्यक्ति के हौंसले बुलंद हों तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

कहानी निहारिका की : साधन न मिलने पर कोविड पॉजिटिव ससुर को पीठ पर ले गई अस्पताल

असम में राहा भाटी गांव के 75 वर्षीय थुलेश्‍वर दास कोरोना से संक्रमित हो गये तो डाक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने को कहा। थुलेश्‍वर दास का बेटा सूरज शहर में नौकरी करता था। घर से अस्पताल दूर था, बहू निहारिका ने बहुत प्रयास किए, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। तब निहारिका ने बिना किसी संकोच के ससुर को अपनी पीठ पर उठाया और अस्पताल ले गई। ऐसा करके वह स्वयं भी कोविड ग्रस्त हो गई। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी ने ससुर को अस्पताल में भर्ती कराने को कहा तथा उसे घर पर ही रहकर अपना इलाज करने की सलाह दी। लेकिन निहारिका ससुर की देखभाल की जिदपर अड़ी रही और स्वयं के साथ ससुर का भी सिविल अस्पताल में इलाज कराया। वास्तव में निहारिका का साहस समर्पण की एक मिसाल है।

संघर्षपूर्ण लेकिन प्रेरक कहानी तीन महिलाओं की : कोविड पॉजिटिव ससुर को पीठ पर ले जाती निहारिका
निहारिका

कहानी निकिता कौल की 

तुम मुझसे नहीं सबसे ज्यादा अपने देश से प्यार करते हो विभु और मुझे इस बात पर गर्व है। जय हिन्द… जय हिन्द..’

देहरादून के वीरगति प्राप्त मेजर विभूति ढौंडियाल और उनकी पत्नी निकिता कौल को कोई भूल सकता है क्या? पति को आई लव यू कहकर विदा करने वाली निकिता ने पति की मृत देह से वादा किया था कि एक दिन मैं भी सेना में जाऊंगी।

मूल रूप से कश्मीर की रहने वाली निकिता कौल और बलिदानी मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने 2018 में ही विवाह किया था। 14 फरवरी, 2019 पुलवामा में आतंकी हमला हो गया। देश के 40 वीर जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। इस हमले के 100 घंटों के अंदर ही सेना के जवानों ने मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के नेतृत्व में पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड गाजी रशीद को मार गिराया। इस ऑपरेशन में मेजर ढौंडियाल एवं 4 अन्य जवान देश के लिए अपना सर्वोच्च न्यौछावर करके भारतमाता की गोद में सो गए।

9 महीने पहले दुल्हन बनी उस महिला के सपने पलभर में बिखर गए, लेकिन उसने हार नहीं मानी, उसे अपने पति की आखिरी विदाई में अपने पति से किए वादे को पूरा करना था। मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करने वाली निकिता दिल्ली में अपने माता-पिता के पास रहकर आर्मी में जाने की तैयारी में जुट गई थीं। निकिता ने शॉर्ट सर्विस कमीशन का फॉर्म भरा। उसने परीक्षा उत्तीर्ण की तथा सेवा चयन बोर्ड  के साक्षात्कार में भी सफलता प्राप्त की। वह अपने प्रशिक्षण के लिए चेन्नई के अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में गई। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद निकिता सेना में शामिल हो गईं।

संघर्षपूर्ण लेकिन प्रेरक कहानी तीन महिलाओं की : निकिता कौल
लेफ्टिनेंट निकिता कौल

वैसे तो 29 मई, 2021 को ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी की पासिंग आउट परेड में कई कैडेट्स भारतीय सेना की यूनिफॉर्म में देश सेवा की शपथ ले रहे थे, लेकिन हर किसी की नजर उस समय लेफ्टिनेंट निकिता कौल ढौंडियाल पर थी। जो यूनिफार्म कभी उनके पति की शान हुआ करती थी वही यूनिफार्म पहन जब निकिता कौल ने देश सेवा की शपथ ली तो सभी की आंखें नम हो गईं। निकिता कौल पर पूरा देश गर्व कर रहा था। निकिता कौल महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गईं।

निकिता कौल आज लेफ्टिनेंट निकिता कौल बन चुकी हैं। कारगिल वॉर हीरो लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने खुद अपने हाथों से लेफ्टिनेंट निकिता के कंधों पर सितारे सजाए। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने कहा कि उन्हें निकिता पर गर्व हो रहा है।

सेना की ओर से कहा गया कि पुलवामा ऑपरेशन में प्राण न्यौछावर करने वाले मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। उन्हें सबसे अच्छी श्रद्धांजलि देते हुए आज उनकी पत्नी निकिता कौल ने सेना की वर्दी पहन ली। यह उनके लिए गर्व का मौका होगा।

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