किसान गर्जना रैली में किसान संघ ने रखीं मांगें
किसान गर्जना रैली में किसान संघ ने रखीं मांगें
दिल्ली, 19 दिसंबर। ऐतिहासिक और अविस्मरणीय हो गया दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली का महाआयोजन। देशभर से आए किसानों ने भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में केंद्र सरकार को यह स्पष्ट कर दिया कि धरती से अन्न उगाने वाले किसान, जब अपने अधिकारों के लिए गर्जना करते हैं, तो सत्ता के सिंहासन भी डोल जाते हैं। दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को किसानों की हुंकार ने यह सिद्ध भी कर दिया।
सोमवार को भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसान गर्जना रैली का आयोजन रामलीला मैदान में किया गया। कंपकंपाती ठंड में देशभर से लाखों किसानों ने अपने अधिकारों के लिए गर्जना करते हुए सरकार को सीधे चुनौती दे डाली।
भारतीय किसान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मंच से जो घोषणाएं की हैं, उससे यह स्पष्ट है कि यदि किसानों की मांगों पर प्रदेश और केंद्र सरकार ने समय रहते एक्शन नहीं लिया तो सरकार के लिए यह अच्छा नहीं होगा। इस आयोजन में देशभर से आए किसान संघ के पदाधिकारियों ने किसानों को संबोधित किया। अंत में राष्ट्रीय मंत्री बाबूभाई पटेल ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन का वाचन किया एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हरपाल सिंह डागर ने प्रशासन व सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मंच पर अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, महामंत्री मोहनी मोहन मिश्र सहित अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य उपस्थित रहे।
जहर नहीं जैविक चाहिए
आयोजन में भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय राष्ट्रीय महामंत्री मोहनी मोहन ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार का आश्वासन था, जल्द ही किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी, लेकिन ऐसा हो ना सका। सरकार का वाणिज्य विभाग किसानों से दुश्मनी पर उतारू है। किसानों को उनकी लागत का लाभकारी मूल्य उनका अधिकार है, भीख नहीं। मोहनी मोहन ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा किसान संगठन आज दिल्ली में सरकार को नींद से जगाने आया है, यदि समय रहते सरकार नहीं जागी तो यह गर्जना और मुखर होगी।
मोहनी मोहन ने कहा कि कोविड के संकट के दौरान भारत के किसानों ने पूरे देश को हर हाल में अनाज उपलब्ध कराया। किसानों ने जान संकट में डालकर खेतों में अन्न पैदा किया और देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में खाद्यान्न की पूर्ति करके भारत का मान बढ़ाया। मोहनी ने कहा कि जब देश का किसान सभी को खाना खिला सकता है तो समय आने पर पानी भी पिला सकता है।
जीएम सरसों जानलेवा साबित होगी
मोहनी मोहन ने जीएम सरसों को घातक बताया। उन्होंने कहा कि एक ओर देश की सरकार जैव विविधता को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर नपुंसकता और कैंसर को बढ़ाने वाले घातक निर्णयों से जनता की जान को संकट में डाल रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती, तब तक किसानों का विरोध हर स्तर पर जारी रहेगा। उन्होंने मंच से जहर नहीं, जैविक चाहिए का नारा लगवाते हुए किसानों से जीएम सरसों का विरोध करने का संकल्प सबल बनाने का आह्वान किया।
किसान अपनी भाषा में समझाएगा
मोहनी मोहन ने कहा कि किसान अपनी भाषा में समझाना भी जानता है। देश की सरकार को हम अपने स्तर पर आगाह करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकार को किसानों के अधिकार समझ नहीं आ रहे हैं तो किसान अपनी भाषा में समझाने को बाध्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए।
कंपनियों को सब्सिडी आखिर क्यों?
मोहनी मोहन ने कहा कि छह लाख करोड़ की सब्सिडी बीज कंपनियों को दी गई, जबकि यह किसानों का हक था। किसान स्वयं बीज का सृजन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अनदेखा किया जा रहा है। किसानों के साथ बाजार से लेकर मंडी तक लूट का क्रम जारी है। स्वाधीनता के 75 वर्षों के बाद भी ऐसे आंदोलनों की आवश्यकता पड़ रही है, यह दुर्भाग्य की बात है।
अहिंसा हमारी मजबूरी नहीं
उन्होंने कहा कि अहिंसा हमारा मार्ग है, लेकिन मजबूरी नहीं। किसान के धैर्य की परीक्षा सरकार को नहीं लेनी चाहिए। आज की इस किसान गर्जना रैली में देश के 560 जिलों से अपने खर्चे पर आए किसानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश का किसान अपने अधिकारों को लेकर सजग और जागरूक है।
दर्जनभर भाषाओं का खिला गुलदस्ता
देश के सभी राज्यों से आए भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्षों एवं पदाधिकारियों ने मंच से किसानों को संबोधित किया। इस दौरान आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों के प्रदेश पदाधिकारियों ने अपने अपने राज्य की कुल 26 क्षेत्रीय भाषाओं में किसानों को संबोधित किया। इस दौरान ऐसा प्रतीत हुआ मानो दुनिया के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश में विविध भाषाओं के फूल एक गुलदस्ते में खिल गए हों। किसानों के अधिकारों की आवाज को देशभर की भाषाओं में सुनकर किसानों ने देशभक्ति के नारों से रामलीला मैदान को गुंजायमान कर दिया।
अपने-अपने साधनों से पहुंचे किसान
जहां एक ओर सियासी आयोजनों में पार्टियां भीड़ जुटाने के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहा देती हैं, वहीं किसानों के इस प्रदर्शन में एक अलग ही मिसाल देखने को मिली। देशभर से किसान दिल्ली पहुंचे, वह भी अपने-अपने साधनों से, प्रदेशों से लेकर दिल्ली की सीमा तक उन्हें रोकने के अनेक प्रयास किए गए, लेकिन सभी विफल साबित हुए। इस आंदोलन में किसान ट्रैक्टरों और निजी साधनों से पहुंचे। कई राज्यों से तो मोटर साइकिलों पर सवार होकर किसान रामलीला मैदान पहुंचे।
जय बलराम से गुंजायमान हुई राजधानी
जय बलराम, हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते, जैसे नारों से सोमवार को समूची दिल्ली गूंज उठी। गले में किसान संघ का गमछा डाले किसान, हाथ में झंडा थामे हुए थे। आयोजन स्थल पर उत्साह और उमंग कुछ ऐसा था कि किसानों के जत्थे नारों को लगाते तो पूरा माहौल गर्मा जाता था। किसान संघ के नेताओं ने जब मंच से किसान एकता का आह्वान किया तो, रामलीला मैदान में उपस्थित किसानों ने दोनों हाथ उठाकर एक रहने का संकल्प जताया।
कंपकंपाती ठंड में इस्पात सा हौंसला दिखा
दिल्ली के रामलीला मैदान में पिछले एक सप्ताह से चल रही तैयारियां व्यापक स्तर पर रहीं। जो किसान पहले से राजधानी पहुंच गए थे, उन्होंने मैदान में पंडाल के नीचे पूरी रात गुजारी। इतना ही नहीं सोमवार की अलसुबह किसानों ने पूरी तैयारी के साथ देशभर से आ रहे अपने साथी किसानों का स्वागत करते हुए, उन्हें गले लगाकर इस आयोजन की सफलता और एकता के संकल्प को सबल बनाने की मंगल कामनाएं दीं।
ये हैं प्रमुख मांगें
- सरकार लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य लागू करे तथा इसके मिलने को सुनिश्चित करे
- सभी प्रकार के कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त हो
- किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की जाए
- जीएम फसलों की अनुमति वापस ली जाए
देशभर में हुए जनजागरण कार्यक्रम
- देशभर की लगभग 560 जिलों की हजारों तहसीलों की 60 हजार से भी अधिक ग्राम समितियों में विगत चार माह से जन जागरण करते हुए किसान आज दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे।
- जनजागरण कार्यक्रम के अंतर्गत लगभग 20 हजार पदयात्राएं, 13 हजार साइकिल यात्राएं, 18 हजार नुक्कड़ सभाएं तथा दक्षिण भारत के तेलंगाना व मध्य भारत के मध्य प्रदेश में बड़ी सभाएं आयोजित की गईं।
- किसान संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्राम संपर्क अभियान के अंतर्गत लाखों परिवारों तक पहुंचकर उन्हें किसानों की मांगों से अवगत कराया गया।
- देशभर से हजारों की संख्या में महिला किसान पूरे जोश और उत्साह के साथ किसान गर्जना रैली में सम्मिलित हुईं और नारा दिया नारी शक्ति जागेगी, सारी समस्या भागेगी।