इस्लाम में पत्नियाँ पति का स्वामित्व न मानें तो पति उन्हें मार भी सकता है – कुरान, सूरह 4

इस्लाम में पत्नियाँ पति का स्वामित्व न मानें तो पति उन्हें मार भी सकता है - कुरान, सूरह 4
हिजाब: कुरान का पालन या फसाद की तैयारी (3)

प्रो. कुसुमलता केडिया

इस्लाम में पत्नियाँ पति का स्वामित्व न मानें तो पति उन्हें मार भी सकता है - कुरान, सूरह 4
तत्कालीन भारत के पारसीक क्षेत्र के रहने वाले इस्लाम के महान दार्शनिक अल गजाली का कहना है कि काबिलियत या योग्यता के 1000 components हैं, इनमें से केवल एक स्त्री को मिला है, शेष 999 पुरुषों को मिले हैं क्योंकि अल्लाह की अवज्ञा के कारण अल्लाह ताला ने स्त्री को अट्ठारह प्रकार की सजाएं दी हैं, जिनमें मासिक धर्म, गर्भधारण, बच्चा होना, अपने माता-पिता से बिछड़ना, अजनबी से विवाह होना, अपने व्यक्तित्व की स्वामिनी स्वयं नहीं होना, तलाक दिए जा सकने की स्थिति में रहना और स्वयं कभी तलाक दे सकने की स्थिति में नहीं होना आदि। एक मर्द एक बार में चार शादियां कर सकता है। चारो बीवियों में से किसी में भी अवज्ञा देखने पर किसी को भी तलाक दे सकता है और इस तरह तलाक देने के बाद या तलाक देते हुए, जीवन में अनेक अनेक शादियां कर सकता है। इसके अतिरिक्त रखैलें तो बहुत सी रख सकता है।
कुरान के सूरह 4 की 34वीं आयत में अल्लाह ताला की ओर से प्राप्त संदेशों को आखिरी रसूल ने इस प्रकार बताया है कि जो औरतें अपने पति की मालकियत ना मानें, उनका स्वामित्व ना मानें उन्हें पहले तो समझाओ और अगर वे न समझें तो उन्हें मार भी सकते हो और उनको बिस्तर पर अकेला छोड़ दो। क्योंकि नेक बीवियां तो वही हैं जो पति का हुक्म मानती हैं, आज्ञा पालन करने वाली होती हैं और अगर पति की कोई गुप्त या कमजोरी की बातें हो तो उन्हें किसी से नहीं कहतीं। इस प्रकार स्त्री सदा पुरुष के अधीन है और अगर वह अधीनता ठीक से नहीं मानती तो उसे मारा भी जा सकता है। यह कुरान का आदेश है।
अब स्थिति यह है कि प्रदर्शन करने वाली जो मुस्लिम बहनें हैं उनके साथ एक बड़ी विचित्र समस्या यह है कि वह भारत के संविधान की भी दुहाई देती हैं, फिर इस्लाम की भी दुहाई देती हैं, फिर अपने को कम्युनिस्ट या सोशलिस्ट भी कहती हैं, इंकलाब के नारे भी लगाती हैं, परंतु इंकलाब जिंदाबाद तो कम्युनिस्टों का नारा है तो यह तो मोमिन का नहीं मुनाफिकीन का लक्षण है। अगर आपको मजहब का हुक्म पालना है तो आप सच्चे मोमिन की तरह पूरी तरह मजहबी कायदे कानूनों का पालन कीजिए। अगर आपको संविधान में श्रद्धा है तो संविधान का पालन कीजिए ।
आप एक साथ दोनों दावे कैसे कर सकती हैं?
संविधान तो पति और पत्नी, स्त्री और पुरुष को बराबरी का दर्जा देता है और कुरान कहती है कि पुरुषों को औरतों पर हुकूमत हासिल है और वह उनकी आज्ञा का पालन करें, यह अल्लाह का आदेश है और अगर वे आज्ञा का पालन नहीं करती हैं तो पति उन्हें मार भी सकता है। परंतु भारतीय संविधान के अनुसार तो यह एक संज्ञेय अपराध होगा। तो आप संविधान को मानती हैं या कुरान को? अपने आचरण के विषय में आप किस आदर्श से चलती हैं, यह तो आपको तय करना होगा।
(क्रमशः )
Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *