गुरु गोबिन्द सिंह के 356वें आगमन दिवस पर त्रिदिवसीय कीर्तन व अखंड पाठ का आयोजन

गुरु गोबिन्द सिंह के 356वें आगमन दिवस पर त्रिदिवसीय कीर्तन व अखंड पाठ का आयोजन

गुरु गोबिन्द सिंह के 356वें आगमन दिवस पर त्रिदिवसीय कीर्तन व अखंड पाठ का आयोजनगुरु गोबिन्द सिंह के 356वें आगमन दिवस पर त्रिदिवसीय कीर्तन व अखंड पाठ का आयोजन

गुरु गोबिन्द सिंह के 356वें आगमन दिवस पर गुरुद्वारा श्री गुरु गोबिन्द सिंह दरबार गोविन्द नगरी, भरतपुर में त्रिदिवसीय प्रकाश उत्सव (1-3 जनवरी 2023) का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के पहले दिन निशान साहिब की सेवा व अखंड पाठ सम्पन्न हुआ। दूसरे दिन कीर्तन दरबार लगा।तीसरे दिन भोग व प्रसादी का कार्यक्रम होगा।

गुरुद्वारा के प्रमुख ग्रंथी सन्नी सिंह ने कहा कि अगर श्री गोबिन्द सिंह जी को अकाल पुरख-परमेश्वर ने कलियुग में नहीं भेजा होता तो धार्मिक स्थिति कुछ और ही होती। मन्दिर, गुरुद्वारे, देवस्थानों के स्थान पर मस्जिदें ही होतीं। गुरुजी ने सन् 1699 में खालसा पंथ की स्थापना के पश्चात एक सेना तैयार की और औरंगजेब के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई व युद्ध किए। हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की रक्षा हेतु गुरु जी  के पूरे परिवार ने आत्म बलिदान दे दिया। औरंगजेब ने इस्लाम न अपनाने पर गुरुजी के पिता श्री गुरु तेगबहादुर साहिब जी की दिल्ली के चांदनी चौक में हत्या कर दी, माताजी सरहिंद पर बलिदान हो गईं। दो छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेहसिंह को औरंगजेब ने दीवार में जिंदा चिनवा दिया, दोनों बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह चमकौर की गढ़ी में मुगलों की दस लाख सेना के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा। हम सभी को ऐसे संत सिपाही, सरबंसदानी हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के रक्षक के पावन आगमन दिवस पर गुरवाणी का कीर्तन सुनकर, उनसे प्रेरणा लेकर तन, मन, धन से देश की सेवा का संकल्प लेना चाहिए।

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