गोबर व गोमूत्र की उपयोगिता स्थापित करती गोकृति
गोबर व गोमूत्र की उपयोगिता स्थापित करती गोकृति
गोबर व गोमूत्र अनमोल हैं। एक ओर जहॉं पर्यावरण संतुलन में इनकी बड़ी भूमिका है, वहीं दूसरी ओर इनसे अनेक प्रकार की सजावटी वस्तुएं भी बनाई जा सकती हैं, जिनसे अर्थ उपार्जन किया जा सकता है। यह सिद्ध किया है गोकृति ने।
राष्ट्रीय सेवा भारती के सेवा संगम में आयोजित गो सेवा प्रदर्शनी में गो उत्पादों की स्टॉल लेकर आए भीमराज शर्मा ने बताया कि वे गोकृति नामक व्यवसाय चलाते हैं। इसके अंतर्गत वे गोबर से कागज बनाते हैं। भीमराज कहते हैं, एक ओर जहां कागज बनाने के लिए हजारों पेड़ों को काट दिया जाता है, वहीं वे गोबर से कागज बना कर प्रकृति संरक्षण में सहयोग दे रहे हैं। इतना ही नहीं इस कागज़ से वे डायरी, निमंत्रण पत्र, शादी के कार्ड बना रहे हैं, जिनकी बिक्री दूसरे राज्यों में भी होती है। विशेष बात यह है कि गोबर निर्मित इन उत्पादों में वे कुछ बीज भी डाल रहे हैं, ताकि जब यह कागज वापस धरती पर पड़े तो कुछ पेड़ों को जन्म दे। यह हुआ सम्पूर्ण रिसाइक्लिंग। प्रकृति से लिया और फिर उसी को अर्पित कर दिया। नए पेड़ भी उगाए। ऐसी महान सोच ही धरती पर जीवन की निरंतरता बनाए रखती है। जमीनी स्तर पर काम हो तो पर्यावरण संरक्षण का यह सशक्त उदाहरण है।
इसके अलावा गोकृति गोबर से ही लक्ष्मी-गणेश, सजावटी सामग्री, ऑर्गेनिक उपले आदि बनाती और बिक्री करती है। गो उत्पादों से वह लोगों को आत्मनिर्भर बना रही है। कोई व्यक्ति गो उत्पाद बेच कर अच्छी खासी मासिक आय अर्जित कर सकता है। ऐसे ही ऑर्गेनिक उत्पादों से वे पेड़ों के लिए खाद, कीट नियंत्रक बनाने संबंधी जानकारी भी देते हैं। इस प्रकार उन्होंने एक पंथ दो काज की उक्ति चरितार्थ की है। जो गायें दूध देना बंद कर देती हैं, उनका गोबर व गोमूत्र उपयोगी हो सकता है। गोकृति ने इनसे गोनाइल, हवन सामग्री, राखी आदि वस्तुएं बनाई हैं। यह एक अच्छी पहल है। इससे उन पशुपालक किसानों को भी गाय का महत्व समझ आएगा, जो दूध न देने के कारण गायों को छोड़ देते हैं।