चित्त की वृत्ति का निरोध करना योग है – डॉ. स्वतंत्र शर्मा

चित्त की वृत्ति का निरोध करना योग है

चित्त की वृत्ति का निरोध करना योग है

अधिवक्ता परिषद् राजस्थान, इकाई उदयपुर की ओर से पांच दिवसीय ई – योग शिविर के चतुर्थ दिवस के योग सत्र का ऑनलाइन आयोजन दिनांक 4 मई 2021, मंगलवार को किया गया। इसकी शुरुआत ओंकार प्रार्थना से हुई।

शिक्षक रितेश ने सभी को योगिक क्रियाओं के बारे में बताया। योग शिक्षकों दीपक एवं हरि ने सभी को योगाभ्यास कराया। तत्पश्चात योग एक जीवन पद्धति विषय पर चर्चा करते हुए डॉ. स्वतंत्र शर्मा ने कहा कि चित्त की वृत्ति का निरोध करना योग है, मात्र रोगों से मुक्ति प्राप्त करना अथवा शरीर का लचीलापन ही योग नहीं। वास्तव में भारत की आदर्श जीवन पद्धति की जीवनचर्या ही योग है।

शिविर की संयोजिका अधिवक्ता भूमिका चौबीसा ने बताया कि शिविर का चौथा दिन बहुत रोमांचित रहा। रोचक यौगिक क्रमों द्वारा शिविरार्थियों की पूरे समय तक उत्सुकता एवं रोचकता बनी रही।

बुधवार को इस योग शिविर का समापन सत्र रहेगा, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय योग शिक्षक बालयोगी भव्य चौबीसा द्वारा ऑनलाइन योग सत्र लिया जायेगा।

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