जनजाति सुरक्षा मंच अब डीलिस्टिंग की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन देगा
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जनजाति सुरक्षा मंच अब डीलिस्टिंग की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन देगा
- उदयपुर में आयोजित महारैली में 55810 से अधिक जनजाति बंधुओं ने भरी डीलिस्टिंग की हुंकार
- 4192 गांवों से आए जनजाति बंधु, 12723 महिलाएं
उदयपुर। जनजाति सुरक्षा मंच अब डीलिस्टिंग की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन देगा। ज्ञापन में संविधान के आर्टिकल 342 में संशोधन की मांग की जाएगी। जिस तरह आर्टिकल 341 में एससी के लिए यह स्पष्ट प्रावधान है कि पूजा पद्धति व आस्था बदल लेने पर एससी के रूप में प्रदत्त लाभ उसे देय नहीं होंगे, ठीक वैसा ही प्रावधान एसटी के लिए आर्टिकल 342 में जोड़ने की मांग की जाएगी।
इसी मांग को लेकर हल्दीघाटी युद्ध विजय दिवस पर आयोजित हुंकार डी-लिस्टिंग महारैली में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान से 55 हजार 810 जनजाति बंधु शामिल हुए। इनमें शहर से शामिल हुए प्रबुद्ध नागरिकों की संख्या शामिल नहीं है। साथ ही विभिन्न जन प्रतिनिधियों के लगभग साढ़े पांच सौ वाहन अलग से आए, जिनकी संख्या भी शामिल नहीं है।
जनजाति सुरक्षा मंच के मार्गदर्शक व सामाजिक कार्यकर्ता भगवान सहाय ने गुरुवार को बताया कि जनजाति क्षेत्र की 81 पंचायत समितियों की 1403 ग्राम पंचायतों के 4192 गांवों से 276 बसों, 1929 छोटे वाहन व 800 से अधिक दुपहिया वाहनों में माध्यम से 55 हजार 810 जनजाति बंधुओं ने डीलिस्टिंग के लिए हुंकार भरी. 12 हजार 723 महिलाएं भी शामिल रहीं।
इससे पूर्व, बुधवार रात को हुंकार डी-लिस्टिंग महारैली की विभिन्न व्यवस्थाओं में जुटे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिकूल मौसम के बावजूद कार्यकर्ताओं द्वारा संभाली व्यवस्थाएं अगले आयोजनों के लिए मील का पत्थर होंगी। मौसम की अनुकूलता रहती तो यह संख्या दो से ढाई गुना होती। उन्होंने बताया कि 38 बसों को मंगलवाड़ चौराहे पर रोक दिया गया था। डूंगरपुर से आ रही 200 गाड़ियां अहमदाबाद हाईवे पर जाम में फंस गईं। मौसम के कारण पाली में 16 से 18 जून तक बसों का संचालन रोका गया था। ऐसे में लोगों को उदयपुर पहुंचने में कठिनाई हुई। इतना ही नहीं, केवड़े की नाल में एक ट्राला अचानक आड़ा खड़ा हो गया। इससे सलूम्बर से आने वाले वाहन अटक गए। प्रकृति के साथ ही संभवतया प्रशासन ने भी उनकी परीक्षा ली।
भगवान सहाय ने कविता की पंक्ति ‘नाविक की धैर्य परीक्षा क्या, यदि लहरें प्रतिकूल न हों’, सुनाते हुए कार्यकर्ताओं के धैर्य और निष्ठा का अभिवादन किया। मौसम की प्रतिकूलता के चलते एक समय तो यह लगा था कि कार्यक्रम को कुछ दिन आगे बढ़ दिया जाए, लेकिन कार्यकर्ताओं ने इसे ईश्वर की परीक्षा मानकर परिस्थितियों को स्वीकार करने का संकल्प जताया और उदयपुर में हुंकार डीलिस्टिंग महारैली ऐतिहासिक उदाहरण बन गई।
भगवान सहाय ने कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि प्रतिकूल मौसम में कार्यकर्ताओं ने भीगते हुए काम किया। यहां तक कि मातृशक्ति ने भी मंच के आगे भीगते हुए ही पुष्प सज्जा की। कार्यकर्ताओं के समर्पण ने सभी के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है। शहर से भोजन पैकेट एकत्र करना और उन्हें हर बंधु तक पहुंचाना भी दुष्कर कार्य ही था। उन्होंने शहरवासियों का भी आभार व्यक्त किया कि उन्होंने जनजाति बंधुओं के लिए भोजन पैकेट तैयार किए और कार्यकर्ताओं के नहीं पहुंच पाने पर फोन करके उन्होंने भी निर्धारित स्थान पर भोजन पैकेट पहुंचाए। लगभग 60 हजार से अधिक भोजन पैकेट एकत्रित हुए और वितरित किए गए। मार्ग में फंसे बंधुओं तक भी भोजन पैकेट पहुंचाए गए।