राजस्थान : डोटासरा पर लगे आरोपों से आरपीएससी भी सवालों के घेरे में

राजस्थान : डोटासरा पर लगे आरोपों से आरपीएससी भी सवालों के घेरे में

राजस्थान : डोटासरा पर लगे आरोपों से आरपीएससी भी सवालों के घेरे में

शिक्षा मंत्री व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर जिस तरह से अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सगे सम्बंधियों को फायदा पहुंचाने के लिए आरपीएससी को सीढ़ी बनाने के आरोप लग रहे हैं, इसने आरपीएससी को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। डोटासरा द्वारा पहले पुत्रवधू के भाई बहनों को RAS 2018 के इंटरव्यू में 80-80 अंक दिलाने और अब समधी को आउट ऑफ द वे जाकर प्रमोशन दिलाने का मामला सामने आया है।

स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के समधी रमेशचंद पूनिया अभी चूरू के जिला शिक्षा अधिकारी हैं और आगामी 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें कई तरह के बड़े फायदे मिलें इसके लिए डोटासरा ने उनके उप निदेशक बनने के रास्ते साफ कर दिए हैं। उन्होंने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए अजमेर स्थित इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम और बीकानेर स्थित राधा कृष्ण उच्च अध्ययन संस्थान के जिला शिक्षा अधिकारी के पद को रातों रात उपनिदेशक के स्तर का कर दिया। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच अपनी छुट्टी होने के अंदेशे के चलते उन्होंने यह काम जल्दबाजी में किया और अपने रसूख से शिक्षा विभाग में पदोन्नति के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग की 28 व 29 जुलाई को होने वाली डीपीसी की बैठक की तारीख ही बदलवा कर 26 जुलाई करवा दी। इस बैठक के बाद समधी रमेश चंद पूनिया की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।

विधायक कालीचरन सर्राफ ने इसे भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान बताया है। सर्राफ ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे के साथ ही पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।सर्राफ ने कहा कि डोटासरा को मालूम है कि उनका मंत्री पद जाना तय है, इसीलिए मंत्रिमंडल विस्तार से पहले जितना फायदा लेना है ले लो। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे अपने एक वीडियो में वे अधिकारियों से कहते नजर आ रहे हैं कि मैं 2-5 दिन का ही हूं, जितनी फाइलें पास करवानी हैं करवा लो, सच साबित हो रहा है। सरकार के मंत्री का ऐसा आचरण अत्यंत ही अशोभनीय है जो सरेआम अधिकारियों को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित कर रहा है। सबसे बड़ी बात, इन सभी मामलों में सरकार व आरपीएससी दोनों की चुप्पी रहस्यमयी है।

इससे पहले RAS इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलाने के लिए आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर के नाम से कथित तौर पर 23 लाख रुपए लिए जाने के मामले ने भी तूल पकड़ा था। एसीबी की इतनी बड़ी कार्यवाही और इतने विवादों के बाद भी आरपीएससी या तो चुप है या वह प्रक्रिया को निष्पक्ष बता रही है। डोटासरा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद आरपीएससी में जिस तरह से 5 सदस्यों की नियुक्ति हुई और बाद में उन्होंने अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए जिस तरह से आरपीएससी को सीढ़ी बनाया, उससे लगता है कि आरपीएससी के सर्वेसर्वा डोटासरा ही हैं।

आरएएस के इंटरव्यू में हुई गड़बडिय़ों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व अन्य युवा संगठन सड़कों पर हैं। उनकी मांग है कि आरएएस के परिणाम को रद्द करवाकर दोबारा से इंटरव्यू की प्रक्रिया की जाए। वहीं अजमेर में भी भाजपा के नेताओं ने आयोग के मुख्यालय में एक ज्ञापन दिया और आरएएस परिणाम का रद्द करने की मांग की। आरोप लगाया गया कि इंटरव्यू की प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रही है।

 

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