वामपंथ का छद्म चेहरा : नक्सलबाड़ी (टीवी सीरीज समीक्षा)

वामपंथ का छद्म चेहरा : नक्सलबाड़ी

डॉ. अरुण सिंह

वामपंथ का छद्म चेहरा : नक्सलबाड़ी

टीवी सीरीज – नक्सलबाड़ी

निर्देशक – पार्थो मित्रा

कलाकार – राजीव खंडेलवाल, टीना दत्ता, श्रीजिता डे, सत्यदीप मिश्रा, शक्ति आनंद और आमिर अली

कुछ वर्षों पूर्व विवेक अग्निहोत्री ने “बुद्धा इन अ ट्रैफिक जैम” नामक फ़िल्म बनाई थी, जिसमें शहरी नक्सलवाद के प्रच्छन्न चेहरे को उघाड़ा गया था। ऐसी फिल्में बॉलीवुड में दुर्लभ ही बनती हैं, जिनमें संघर्ष का दूसरा पक्ष भी दिखाया जावे। हाल ही में आई टी वी सीरीज नक्सलबाड़ी का पहला सीजन आया है। नक्सलवादी संघर्ष की आड़ में चलने वाले वामपंथी आतंकवाद का घिनौना चेहरा यहाँ प्रस्तुत होता है।

शिक्षित युवा पीढ़ी इस खूनी विचारधारा में आकंठ डूबती जा रही है। समस्या तो है, पर इतने दशकों के संघर्ष के पश्चात भी जस की तस है। वामपंथी विचारकों/संचालकों ने इसका निराकरण क्यों नहीं किया? घोर पूँजीवाद समाप्त क्यों नहीं हुआ? विडंबना तो यह है कि इस लड़ाई की चाभी किसके हाथ में है, यह उन निर्धन जनजाति समाज के लोगों को पता ही नहीं है। सुधा टी वी चैनल की बहस में वनवासियों के अधिकारों के लिए बड़ी- बड़ी बातें करती है, पर दूसरी ओर नेताओं और उद्यमियों से सौदेबाजी करती दिखाई देती है। उसके एनजीओ को चीन से धन प्राप्त होता है।

बीनू, पाहन, प्रकृति और केतकी, सब मोहरे हैं इस कुत्सित और भयानक खेल के। बीनू और पाहन को आदमखोर भेड़िया बना कर छोड़ दिया है वामपंथी सोच ने। यह भी  शक्ति हेतु एक संघर्ष है जो एक शहरी नक्सल द्वारा संचालित किया जाता है। माना कि फाईका प्रोजेक्ट पूँजीवाद का प्रतीक है और वह विकास के नाम पर जनजाति समाज के लोगों के घर उजाड़ने पर आमादा है, पर इस तंत्र में सेंध केसवानी करता है जो लाल-सलाम के इस रक्तरंजित खेल को रचता है। वामपंथी बुद्धिजीवी वनवासियों के हितों की रक्षा करने के बजाय उन्हें सदा के लिए हिंसा और विनाश के रास्ते पर धकेल देता है। केतकी इस हिंसक पथ पर अपने रिश्तों की तिलांजलि दे देती है। राघव कर्तव्य पथ पर अपना अभिन्न सखा खो देता है। यह टी वी सीरीज यह उजागर करने का प्रयास है कि लाल-सलाम की हिंसक विचारधारा समाज की उन्नति के लिए अत्यंत घातक है।

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1 thought on “वामपंथ का छद्म चेहरा : नक्सलबाड़ी (टीवी सीरीज समीक्षा)

  1. Very Good, point and good efforts shown by the director and team. Why not give (suggest) some solutions to them through this series.

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