पांच दिवसीय जयपुर डायलॉग के 22 सत्रों में 88 विचारकों ने किया मंथन

पांच दिवसीय जयपुर डायलॉग के 22 सेंशन में 88 विचारकों ने किया मंथन

पांच दिवसीय जयपुर डायलॉग के 22 सेंशन में 88 विचारकों ने किया मंथन

जयपुर, 22 नवम्बर। देश में चल रहे विभिन्न मुद्दों पर विमर्श के लिए आयोजित होने जयपुर डायलॉग का द्वितीय संस्करण रिपब्लिक का वर्चुअल संवाद 17 से 21 नवम्बर तक आयोजित हुआ। पांच दिवसीय डायलॉग में आयोजित हुए कुल 22 सत्रों में 88 विचारकों ने विभिन्न विषयों पर परिचर्चा करते हुए अपनी बात साझा की। कोरोना संक्रमण के चलते कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित हुआ। यूट्यूब व फेसबुक समेत सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से डायलॉग को सुनने वाले लोगों को इन विषयों की जानकारी मिली।

जेहादी मानसिकता को समाप्त करने से होगा कश्मीर समस्या का हल
डायलॉग के पहले दिन चार सत्रों में देश-विदेश के जाने-माने विचारकों ने देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की। प्रथम दिन के पहले सत्र में जम्मू कश्मीर में आगे का रास्ता विषय पर चर्चा करते हुए सुशील पंडित, जावेद इकबाल शाह, संजय दीक्षित और अभिनव प्रकाश शामिल हुए। जम्मू कश्मीर में आगे का रास्ता सत्र में सुशील पंडित ने कहा कश्मीर की मूल समस्या क्या है सबसे पहले यह समझना होगा, क्या यह राजनीतिक, भारत-पाक के बीच द्वेष का एकमात्र कारण, संवैधानिक, कश्मीर के राजा हरीसिंह द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज, चुनाव में धांधली, विकास, नौकरी, शिक्षा, अस्पताल, स्वायत्तता, सेल्फ रूल, कश्मीरी पंडितों की इच्छा, भ्रष्टाचार, जिनको धन नहीं मिल रहा वो चिल्ला रहे हैं- इनमें से कौन सा बिंदु समस्या की जड़ है? जब तक जड़ की पहचान नहीं होगी, समाधान नहीं हो सकता।

सुशील पंडित ने उक्त सभी को कश्मीर की मूल समस्या माना। उनके अनुसार कश्मीर की मूल समस्या जिहाद, मुस्लिम बाहुल्य जमीन पर मुस्लिमों के एकाधिकार की मानसिकता है। कश्मीरी नेता चाहते हैं कि वहां निजाम ए मुस्तफा हो। कश्मीर के नेता वहां पर इस्लामी शासन चाहते हैं। लोकतंत्र समाजवाद में उनका विश्वास नहीं है। इसलिए वह खिलाफत कर रहे हैं और इसके लिए ही वे आजादी और कश्मीर छोड़ो की बात करते हैं।

उन्होंने कहा कि कश्मीर के नेता कश्मीरी पंडितों को ही हिंदुस्तान का मुखबिर समझते हैं। कश्मीरी पंडितों को मारते हैं, बलात्कार करते हैं, उनकी संपत्ति लूटते हैं, मंदिर तोड़ते हैं। भारत सरकार जब तक कश्मीरी नेताओं के दिल जीतने, उन्हें   राजनीतिक स्वायत्तता देने, धन देने, विदेश में इलाज कराने, उनकी सुरक्षा पर खर्च करने तथा नरसंहार करने वालों के पासपोर्ट, वीजा बनाने को ध्यान में रखेगी तब तक समस्या हल नहीं होगी। सुशील पंडित ने कश्मीरी पंडितों के हत्यारों को फांसी देने, उनको वहां बसाने व सुरक्षा देने समेत नगारिक अधिकारों के अंतर्गत सभी सुविधाएं देने की बात कही।

वहीं पहले दिन के दूसरे सत्र में मैकाले की शिक्षा पद्धति से भारत का ईसाईकरण विषय पर चर्चा में संदीप बालाकृष्णन, आर जगन्नाथन, गरुड़ बुक्स के संक्रांत सानू ने भाग लिया। तीसरे सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रबोध के अंतर्विरोध विषय पर शंकर शरण, भरत गुप्त, संघ विचारक रतन सारडा, तुफैल चतुर्वेदी द्वारा चर्चा की गई। इसके साथ ही चौथे और अंतिम सत्र में सरस्वती संस्कृति विषय पर मेजर जनरल जीडी बक्शी, डॉ. डेविड फ्राले, नीलेश ओक, राज वेदम द्वारा संवाद किया गया।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत पुस्तकों में गलत तथ्यों को जल्द ठीक करे सरकार 
डायलॉग के दूसरे दिन इस्लामी बरबरियत का सामान्यीकरण: इतिहास का मखौल विषय पर बोलते हुए पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि इस्लाम की बर्बरता से लड़ना पड़ेगा, इस्लामी जिहाद से समझौतावादी व्यवहार से हमें नुकसान हो रहा है। पूजा स्थल कानून 1991, वक्फ संपत्ति कानून 1995 पर पुनर्विचार आवश्यक है। वक्फ एक्ट की धारा 40 में लिखा है कि वक्फ संपत्ति की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में भी नहीं हो सकती है। जो व्यक्ति 1902 में भारत आया उसे भारत का पहला शिक्षा मंत्री बनाया गया। गलत शिक्षा नीतियां बनाई गईं, उसे भारत रत्न दिया गया। जबकि उनसे अधिक विद्वान राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता उपस्थित थे। हिंदू समाज जात-पांत में बंटा हुआ है। अनेकों जातियां आरक्षण मांग रही हैं इससे हिंदू समाज में खाई बढ़ रही है। जातिवाद के बजाय हिंदू मानसिकता से वोट करके सरकारों को एहसास कराएं कि आप हमसे हैं, आपसे हम नहीं।

वहीं डायलॉग के चेयरमैन संजय दीक्षित ने कमी बताई कि अब तक भी शारदा कानून 1927 और शरीयत कानून 1937 में विसंगतियों को दूर नहीं किया गया है। एक आपराधिक तो दूसरा सिविल कानून है, लेकिन आपराधिक और सिविल कानून में से कौन सा कानून लागू होगा निर्धारित नहीं हुआ है। मुस्लिम लड़की विवाह करेगी तो उस पर 1937 का शरियत कानून लागू होगा, इसलिए समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो पाएगी। संजय दीक्षित ने कहा कि देश में कानून को लागू करने की कमी है, उन्होंने साक्ष्य दिया कि 65 वारंट में से 15 गैर जमानती वारंट वाला आरोपी घूम रहा है। दूसरी ओर सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले ठक्कर पर एफआईआर और जेल हो जाती है। उन्होंने कहा कि केंद्र की नई शिक्षा नीति के मद्देनजर शैक्षणिक पुस्तकों में वर्णित गलत तथ्यों को आने वाले दो साल में सही करें, इसके लिए नौकरशाही पर दबाव बनाकर रखें। इस सत्र में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, नीरज अत्री, संजय दीक्षित, विनय कृष्णा व तुफैल चतुर्वेदी शामिल रहे।

जब तक समान नागरिक संहिता लागू नहीं तब तक धर्मनिरपेक्षता लागू नहीं हो सकती : कपिल मिश्रा

राजनीति और संविधान:
समान नागरिक संहिता विषय पर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय, कपिल मिश्रा और संजय दीक्षित के बीच चर्चा हुई। संजय दीक्षित ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे एक मदरसे से जिन्होंने भारत का विभाजन करा दिया था, अब तो ये गली-गली में खुल गए हैं। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि भारत में सभी धर्मों के लिए विवाह, विवाह विच्छेद, संपत्ति का अधिकार, गोद और गुजारा कानून लागू होने चाहिए। वर्तमान में देश में ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जो सभी धर्मों के लिए समान शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, घुसपैठ पर रोक, धर्मांतरण कानून और यूसीसी के लिए हों। उपाध्याय ने कहा कि दुनिया में संस्कृति युद्ध प्रारंभ हो गया है। पहले देव—दानव, मानव—राक्षस, सनातन और अन्य संस्कृतियों का टकराव होता था। भारत के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। धर्मनिरपेक्षता प्रभावी नहीं है। कश्मीर, नागालैंड और मेघालय में हिंदू अपने घरों के सामने त्यौहार नहीं मना सकते। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही ठोस कानून नहीं बने तो 1947 में आजादी के बाद से 100 साल बाद 2040 में संविधान नहीं बचेगा। अरब, दुबई, ईरान जैसे मुस्लिम देशों में मजार, दरगाह, पक्का कब्रिस्तान नहीं है। इन्हें वहां इस्लाम में हराम माना जाता है। लेकिन भारत में कब्रिस्तान जेहाद चल रहा है।
दिल्ली के सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता कपिल मिश्रा ने स्पष्ट किया कि समान नागरिक संहिता के लिए आविष्कार की जरूरत नहीं है इससे मुल्ला- मौलवियों को नुकसान होगा। क्योंकि हलाला, बहुविवाह, संपत्ति का बंटवारा आदि में शोषण का धंधा बंद होना समस्या है। पीड़ितों को शरण देने के लिए लाए गए सीएए का विरोध किया, यूसीसी लाएंगे तो प्रोपेगेंडा करेंगे व झूठ फैलाएंगे। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हिंदुओं पर विवाह, संपत्ति, गोद आदि पर कानून बनाकर लागू कर दिए, मुस्लिमों पर क्यों नहीं कानून बनाए जा रहे? हिंदू बेटी और मुस्लिम बेटी पर अलग-अलग कानून क्यों लागू हैं? यह कैसी समानता है? जब तक समान नागरिक संहिता लागू नहीं तब तक धर्मनिरपेक्षता लागू नहीं हो सकती।
धर्मनिरपेक्षता पर कपिल मिश्रा ने कहा कि धर्म के आधार पर भारत विभाजन से पाकिस्तान, बांग्लादेश बन गए, फिर भी धर्म के आधार पर हिंदू सत्ता नहीं चला रहे। 1947 के पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में कितने हिंदू थे, आज कितने हैं यही प्रमाण है कि हिंदू धर्मनिरपेक्ष है। संविधान बनाते समय यह सोच थी कि बहुसंख्यक समाज अल्पसंख्यक समाज को अधिकार नहीं देगा, इसलिए अल्पसंख्यक समाज को अधिकार देने के प्रावधान किए गए। विश्व में केवल भारत के संविधान में बहुसंख्यक समाज के अधिकार देने का प्रावधान नहीं सोचा गया तुष्टिकरण किया गया, यह बर्बादी है धर्मनिरपेक्षता नहीं।

बैजयंत पांडा ने कहा कि 100 साल पहले वामपंथी धर्म विरोधी ही थे अब जिहादी बन गए हैं। एमनेस्टी ग्रीनपीस आतंकियों का समर्थन कर रहे हैं इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। लेफ्ट वैश्विक व्यवस्था गठबंधन है जो माओवाद के रूप में आतंक फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि आठवीं सदी से 1947 तक जो संस्थाएं नष्ट की गईं उन्हें पुनर्जीवित करना होगा। मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करना होगा।

जयपुर डायलॉग 2020 के समापन पर चेयरमैन संजय दीक्षित ने बताया कि इस साल कोरोना वायरस के कारण वर्चुअल आयोजन किया गया था। जिसमें अमेरिका यूरोप और भारत से सबसे ज्यादा वक्ताओं ने भाग लिया।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *