हर समाचार को, हर बात को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए– केजी सुरेश

हर समाचार को, हर बात को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए– केजी सुरेश

हर समाचार को, हर बात को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए– केजी सुरेश

उदयपुर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मीडिया का भी एक धर्म होता है। आज उसका पालन करने की आवश्यकता है। अगर मीडिया धर्म का पालन किया जाएगा तो सकारात्मक ऊर्जा स्वयं ही आ जाएगी। प्रो. सुरेश शनिवार को प्रताप गौरव केंद्र की ओर से आयोजित महाराणा प्रताप जयन्ती समारोह के अन्तर्गत ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।

केजी सुरेश ने राष्ट्र निर्माण में मीडिया की सकारात्मक भूमिका विषय पर कहा कि आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता राष्ट्र से अधिक हो गई है। इस विषय पर कोई दो राय नहीं कि स्वतंत्रता पूर्व से ही मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बहुत से पत्रकार रहे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। महात्मा गांधी से लेकर डॉ. भीमराव आम्बेडकर, लोकमान्य तिलक, मदन मोहन मालवीय भी परोक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पत्रकारिता से जुड़े रहे। देश में राष्ट्रीयता के भाव को लेकर आगे बढ़ना होगा। स्वदेशी जैसे आंदोलन को आगे बढ़ाना, अस्पृश्यता को लेकर जनमानस तैयार करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। मैं सारे मीडिया को दोषी नहीं मानता, कहीं ना कहीं कार्पोरेट के चलते मीडिया में अपवाद दिखने लगे और उद्देश्य लक्ष्य से भटक गया और वह मुनाफे में बदल गया। स्वतंत्रता के बाद नया दौर भी आया, जिसमें पुनरुत्थान, राष्ट्र निर्माण में मीडिया की अहम भूमिका रही।

आज पेड न्यूज को लेकर बड़ी पीड़ा होती है। मीडिया घराने के कुछ लोगों का विरोध आज भी है। मीडिया के साथी सच अवश्य दिखाएं, पर सच दिखाने के नाम पर राष्ट्रहित के विषय पर समझौता नहीं करना चाहिए। हर समाचार को, हर बात को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। नकारात्मक ही दिखाएंगे ऐसा क्यों, इससे मानसिक परिवर्तन के नाम पर समाज परिवर्तन नहीं किया जा सकता। यदि कोई कमी है तो सुधारात्मक ढंग से उसकी आलोचना करनी चाहिए।

केजी सुरेश ने कहा कि सोशल मीडिया के आने के बाद फेक न्यूज में बढ़ोतरी हुई है, इसके नियमन का प्रयास किया जाना चाहिए। आज देश के बहुत से पत्रकार राष्ट्रीय विचारधारा के पत्रकार हैं और कुछ ऐसे तत्व भी हैं जो अपना दायित्व बोध भूल देश में राष्ट्र के विघटन का काम कर रहे हैं।

मीडिया तो जनता और सरकार के बीच सेतु का काम करता है। पत्रकार होने के नाते विचारधारा आधारित पत्रतारिता नहीं करनी चाहिए। विचारधारा आवश्यक है, उसे संपादकीय में, लेख में लिखना चाहिए और अवश्य लिखें। लेकिन रिपोर्टिंग करते समय तथ्यपरक समाचार को ही, लेख को ही सामने रखना चाहिए। तथ्यों के आधार पर वार करें और पत्रकार बनें। अब लोग जागरूक हो गए हैं, उन्हें सब समझ में आता है।

आजकल नए छात्र पत्रकारिता मे आ रहे हैं, उनके लिए क्या मापदण्ड हैं? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम युवा पीढ़ी का राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव हो, समाज के प्रति सरोकार की दृष्टि रखें, अध्ययनशील बनें, राष्ट्रीय सोच हो, किसी भी समाचार की तह तक पहुंचें। हर विषय को समझें, यही नहीं दूसरे तथ्य को भी जानने का प्रयास करें। जांच पड़ताल कर उसकी वास्तविक जानकारी जुटाएं, यही वास्तविक पत्रकारिता है।

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