प्रभु राम का जीवन चरित्र संपूर्ण विश्व के लिए आदर्श
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प्रभु राम का जीवन चरित्र संपूर्ण विश्व के लिए आदर्श
सरदारशहर। श्रीराम जन्मोत्सव आयोजन समिति सरदारशहर द्वारा भारतीय नववर्ष विक्रम संवत् 2080 के अवसर पर पंचांग का विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक बाबूलाल ने कहा कि प्रभु राम का जीवन चरित्र संपूर्ण विश्व के लिए आदर्श है। हिन्दू जीवन पद्धति सर्वथा विज्ञान सम्मत है और सारे विश्व में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप में अपनाई गई है। वर्तमान समय में हमारे ये आदर्श विस्मृत हो रहे हैं। हमें अपनी सनातन संस्कृति को पुनः स्थापित करना होगा। हर हिन्दू को अपना जन्म दिवस आदि तिथि अनुसार मनाने के प्रयास करने चाहिए। स्व जागरण प्राप्त कर ही हम वास्तविक स्वतंत्रता स्थापित कर सकेंगे। भिन्न भिन्न कालखण्ड में आक्रमणकारियों द्वारा सनातन संस्कृति को खण्डित किया गया। फलस्वरूप उनके द्वारा अपनी अवैज्ञानिक और तथ्यविहीन जीवनशैली हिन्दुओं पर थोप दी गई। लॉर्ड मैकाले ने जहां भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नष्ट किया, वहीं स्वतंत्र भारत में भी किसी भी सत्ता ने सांस्कृतिक जागरण का कार्य नहीं किया। फलतः सनातन संस्कृति आज विलुप्त होने की कगार पर है। हमें अपने सभी मतभेद भूल कर अपनी सनातन संस्कृति की ओर लौटना होगा। विश्व में सबसे प्राचीन ज्ञान ग्रन्थों, वेदों की रचना भारतीय मनीषियों ने ही की, जो सभी कालों में जीवनाधार थी। हिन्दू काल गणना में अति सूक्ष्म से विराटता समाहित है। जिसमें समय की सूक्ष्मतम गणना के साथ विराट कालावधि का सुस्पष्ट वर्णन मिलता है। अतएव प्रत्येक हिन्दू भारतीय पंचांग को पुनः जीवनांग बनाये, जिससे भारतीय संस्कृति अपने मूल स्वरूप को प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से ही भारत पुनः विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। कार्यक्रम में उदासर धाम के संत दयानाथ महाराज ने कहा कि समस्त हिन्दू समाज प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव पर साथ आएगा। तभी समाज को एक करने का सपना साकार होगा। प्रभु श्रीराम ने शबरी के हाथों जूठे बेर खाए थे, इस प्रसंग से हमें सीख मिलती है कि हम सब मिलकर प्रेम से एकरूप होकर रहें।
इस पंचांग विमोचन एवं शोभायात्रा कार्यक्रम की प्रस्तावना सुभाष सोनगरा ने रखी। कार्यक्रम का संचालन राकेश इंदोरिया ने किया। इस अवसर पर शोभायात्रा संयोजक मदन ओझा, सुरेश वर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।