प्रेरणा विमर्श 2022 : फेक न्यूज से समाज में वैमनस्य फैलता है- प्रो. केजी सुरेश

प्रेरणा विमर्श 2022 : फेक न्यूज से समाज में वैमनस्य फैलता है- प्रो. केजी सुरेश

प्रेरणा विमर्श 2022 : फेक न्यूज से समाज में वैमनस्य फैलता है- प्रो. केजी सुरेशप्रेरणा विमर्श 2022 : फेक न्यूज से समाज में वैमनस्य फैलता है- प्रो. केजी सुरेश

नोएडा। प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, प्रेरणा जन सेवा न्यास और केशव सम्वाद पत्रिका की ओर से नोएडा के सेक्टर-12 स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर में पाँच दिवसीय प्रेरणा विमर्श 2022, मीडिया कॉन्क्लेव एवं फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन 10 नवम्बर को मीडिया शिक्षक एवं छात्र विमर्श विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला के प्रथम सत्र में करियर समाज और राष्ट्र विषय पर विमर्श हुआ।

प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के तौर पर भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश उपस्थित रहे। उन्होंने करियर समाज और राष्ट्र विषय पर चर्चा के दौरान कहा कि जीवन में कई बार अलग अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मेरे जीवन में भी इस तरह की कई चुनौतियां आईं। जब मैं अधिक पैसे कमा सकता था। विदेशी मीडिया संस्थानों में काम करके डॉलर कमा सकता था। लेकिन मैंने राष्ट्र सेवा को चुना। समाज व राष्ट्र के हित में क्या करना है, यह हमें स्वयं तय करना होता है। तभी हम पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर की एक चुनावी रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे हुर्रियत द्वारा बंद की घोषणा किए जाने के बाद जब वहां चुनाव हो रहे थे तो कुछ चैनल यह बताने का प्रयास कर रहे थे कि हुर्रियत के कारण लोग वोटिंग करने नहीं आ रहे हैं और वे खाली बूथ दिखा रहे थे। जबकि कुछ चैनल पर वोटिंग करने आए लोगों की भारी भीड़ दिख रही थी। स्पष्ट है कि वे फेक न्यूज दिखा रहे थे, लोगों को गुमराह कर रहे थे। यह उस ऐजेंडे का प्रमाण है जो बताता है कि हुर्रियत के आह्वान के बाद लोगों ने बूथ पर आकर वोट नहीं डाले। जम्मू कश्मीर के लोगों को भारतीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। नैरेटिव सेट करने के लिए फेक न्यूज फैलाई जाती है। फेक न्यूज से समाज में वैमनस्य फैलता है। आपको सामने आकर इस तरह की फेक न्यूज को खण्डित करना होगा।

मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित डीडी न्यूज के वरिष्ठ सलाहकार संपादक अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि करियर आज निजी स्वार्थ तक सिमट कर रह गया है। करियर के अंतर्गत हम सुख सुविधा या फिर परिवार को सुख सुविधा दिलाने तक संकुचित होकर रह गए हैं। प्रश्न उठता है कि क्या आज करियर में हम सिर्फ नौकरी के लिए आते हैं या करियर में राष्ट्र सेवा के लिए भी कोई स्थान है? आज ज्यादातर लोग पत्रकारिता में चमक-दमक, मान-सम्मान के लिए आते हैं। लेकिन यदि आप देश और समाज की सेवा के लिए मीडिया में नहीं आते हैं तो फिर मीडिया से बेहतर करियर उपलब्ध हैं। इसके लिए मीडिया में आने की आवश्यकता नहीं है। दूसरी ओर यह भी है कि यदि आपको लगता है कि आप पत्रकार बनेंगे तो देश की तस्वीर बदल देंगे तो यह भी सही नहीं होगा। क्योंकि आज सभी मीडिया संस्थानों की अपनी एडिटोरियल पॉलिसी होती है। आपको उसके अनुसार ही कार्य करना होता है। कई बार आपको इस बात को लेकर भी पीड़ा होगी कि आप पत्रकारिता में रहते हुए देश और राष्ट्र की सेवा नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन आपको सही समय की प्रतीक्षा करनी होगी। यदि आप ऐसा करते हैं तो एक समय अवश्य आएगा, जब आपको अपने अनुसार कार्य करने का अवसर मिलेगा। उस समय यदि आप अपने राष्ट्र  के लिए नहीं कर पाते हैं तो चिंता की बात है। आज देश के विरुद्ध जिस तरह से फेक न्यूज चलाई जाती है, वह देखकर दुख होता है। क्या कोई अपने देश में अपने देश के विरुद्ध ऐसे किसी षड्यंत्र में शामिल हो सकता है।

इस दौरान उन्होंने किसान आन्दोलन  के दौरान फैलाए गए फेक नैरेटिव पर चर्चा करते हुए कहा कि देश विरोधी षड्यंत्रों के अंतर्गत यह फैलाया गया कि सरकार किसानों को खालिस्तानी कह रही है, जबकि सच तो यह है कि उस किसान आन्दोलन में जो लोग भिन्डरावाला की टीशर्ट पहनकर आ रहे थे और देश विरोधी नारेबाजी कर रहे थे उन लोगों को खालिस्तानी ही कहा जाएगा। उस समय देश के पत्रकारों को इस प्रकार के नैरेटिव को रोकने के लिए सामने आना चाहिए था।

देश में कुछ विशेष प्रकार के मीडिया संस्थान हैं, जहां इंडिया के विरुद्ध नैरेटिव बनाया जाता है। इन संस्थानों पर एक विशेष प्रकार की विचारधाराओं का कब्जा है। उन्होंने कहा कि यदि आप के अंदर देश के प्रति सेवा का भाव नहीं है तो आपको पत्रकारिता में नहीं आना चाहिए।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में भविष्य के भारत में नवोदित पत्रकारों की भूमिका विषय पर विमर्श हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता हरियाणा के उच्च शिक्षा परिषद के चैयरमैन प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला ने की। उन्होंने कहा कि आज यहां आकर पता चला कि आज के नवोदित पत्रकारों की सोच क्या है। जो कुछ भी करना है वह राष्ट्रहित और मानव हित में करना है।

नवोदित भारत का अर्थ नया भारत नहीं है, उसका पुनरोत्थान है। एक समय था, जब हम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ थे। लेकिन अंग्रेजों के समय यह समाप्त हो गया था। आज जब हम दुनिया के किसी देश में जाते हैं तो हमारे पासपोर्ट को देखकर लोग प्रसन्नता से कहते हैं- ओह भारतीय, ओह हिन्दू, यही भारत की असली तस्वीर है, जो हमें भारतीय होने पर गर्व करने का अवसर देती है। कल का भारत विशाल हृदय वाला बनने वाला है। समाज व अध्यात्म के क्षेत्र में अग्रसर होने वाला है।

मुख्य वक्ता के तौर पर भारतीय संचार संस्थान नई दिल्ली  के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने नवोदित पत्रकारों से कहा कि सभी लोग खराब नहीं होते हैं। हर जगह कुछ न कुछ लोग गड़बड़ होते हैं। समाज में संवाद होना आवश्यक है। हमारे एक उपनिषद का नाम ही है प्रश्न उपनिषद। हमारे समाज में प्रश्न और संवाद का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। पत्रकारिता का उद्देश्य सिर्फ प्रश्न पूछना नहीं है। उसका हल देना भी है।

मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि आज की तुलना में वे पत्रकार अधिक सफल थे, जिन्होंने बिना किसी डिग्री के पत्रकारिता के क्षेत्र में काम किए। आज के डिग्रीधारी पत्रकारों को जिस तथ्य और सत्य के बारे में पढ़ाया जाता है। बाद में उन्हीं पत्रकारों के तथ्य और सत्य अलग क्यों हो जाते हैं? सत्य तो एक ही होता है। यदि सच्ची पत्रकारिता करनी है तो सच बोलना होगा। सत्य दिखाना होगा। अगर आपको लगता है कि समाचारों का असर होता है तो आपको सच दिखाना चाहिए।

कार्यशाला के तृतीय सत्र में नव मीडिया में राष्ट्रीय चेतना विषय पर विमर्श हुआ। सत्र की अध्यक्षता रायपुर के कुशाभाव ठाकरे पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्रो. बलदेव शर्मा ने की। उन्होंने सीखने की परंपरा पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकार बनने के लिए जीवन लगाना पड़ता है। जीवन में तत्काल कुछ नहीं मिलता। जिन्हें तत्काल सब कुछ चाहिए, उन्हें पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिए। पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वालों को निरन्तर सीखना ही पड़ेगा। जो अपने जीवन को झोंक देते हैं, अंत में उन्हें ही सब कुछ प्राप्त होता है। पत्रकारिता केवल लिखना नहीं है, यह किसी राष्ट्र का नैतिक सम्वाद है।

मुख्य वक्ता के तौर पर लखनऊ के स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्यूनिकेशन, बीआर आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के डीन प्रो. गोविन्द पांडेय ने कहा कि नव मीडिया में पहले वन टू मैनी था, अब मैनी टू मैनी है। और इसी से फेक न्यूज का क्रम आरम्भ हो जाता है। नई मीडिया में अब आपको देखना होगा कि कौन सी न्यूज आपको देखनी है और उसे आगे बढ़ाना है। कहीं हम बिना सोचे समझे फेक न्यूज तो शेयर तो नहीं कर रहे हैं। आज हम एक्टिव दर्शक नहीं पैसिव दर्शक की तरह व्यवहार करते हैं। हम सिर्फ राष्ट्र और राष्ट्रवाद के नाम पर ही किसी को स्वीकार नहीं करें, जब तक कि उसका कोई वैज्ञानिक आधार न हो।

मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित टाइम्स नाउ भारत (डिजिटल) की फीचर संपादक मेधा चावला ने कहा कि मीडिया के सामने सदैव ही चुनौतियां रही हैं। ये न पहले कम थीं और न ही आज के मीम्स और रील्स के जमाने में कुछ बदला है। आज जब  हम पत्रकारिता की बात करते हैं तो हमें देखना होगा कि खबर का स्रोत क्या है। नवोदित पत्रकार सिर्फ ग्लैमर देखकर आते हैं। उनमें राष्ट्र सेवा की मौलिक भावना का अभाव होता है। इसलिए पत्रकार तो बनें, लेकिन राष्ट्रसेवा की भावना के साथ ही अपनी भाषा का भी ज्ञान रखें। चैनल या प्लेटफॉर्म कोई भी हो, आपका अपने देश के प्रति जो दायित्व है, उसे पूरा करना होगा ।

उल्लेखनीय है कि पाँच दिवसीय यह कार्यक्रम 09 नवम्बर से 13 नवम्बर तक चलेगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ 9 नवंबर को भविष्य के भारत विषय पर आयोजित प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुआ। वहीं 10 नवंबर को पत्रकारिता के छात्र एवं शिक्षकों के लिए छात्र एवं शिक्षक विमर्श कार्यशाला का आयोजन हुआ। 11 नवंबर को पत्रकार एवं लेखक विमर्श कार्यशाला, 12 नवंबर को सोशल मीडिया विमर्श कार्यशाला, 13 नवंबर को लघु फिल्म एवं वृति चित्र प्रदर्शन के साथ ही केशव सम्वाद पत्रिका विमोचन एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का भी आयोजन होगा। प्रेरणा विमर्श-2022 भविष्य के भारत में समाज की भूमिका का चिन्तन, विमर्श है।

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