स्वदेशी के लिए बलिदान होने वाले पहले भारतीय थे बाबू गेनू

स्वदेशी के लिए बलिदान होने वाले पहले भारतीय थे बाबू गेनू

स्वदेशी के लिए बलिदान होने वाले पहले भारतीय थे बाबू गेनू

जयपुर, 24 दिसम्बर। स्वदेशी जागरण मंच द्वारा 22 वर्ष की आयु में स्वदेशी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले देश के पहले व एकमात्र बलिदान देने वाले वीर बाबू गेनू सईद के बलिदान दिवस पर जयपुर प्रांत के जिलों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। सवाई माधोपुर के बालिका आदर्श विद्या मंदिर मानटाउन में अमर शहीद बाबू गेनू सईद बलिदान दिवस का आयोजन किया गया।

मंच की प्रांत सह महिला प्रमुख अर्चना मीणा ने कहा कि बाबू गेनू स्वदेशी आंदोलन में शहीद होने वाले पहले व्यक्ति थे। उनका जन्म वर्ष 1906 में हुआ था। वह एक मिल में काम करने वाले मजदूर थे। गरीब होते हुए भी उनमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी। 12 जनवरी 1930 उनको पता चला की विदेशी कपड़े से भरी गाड़ी मुंबई के बाजारों में जा रही है। उसे रोकने के लिए अपने साथियों के साथ गाड़ी के सामने आ गए, लेकिन एक अंग्रेज अफसर ने उनके सभी साथियों को एक तरफ कर दिया। जब बाबू गेनू गाड़ी के सामने आये तो अंग्रेज अफसर ने बाबू गेनू पर गाड़ी चढ़ा दी। जिसमें वह शहीद हो गए। बाबू गेनू ने स्वदेशी के लिए 22 वर्ष की आयु में अपनी जान की बाजी लगा दी थी। मीणा द्वारा वर्तमान समय में स्वदेशी की प्रासंगिकता विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक हनुमान प्रसाद शर्मा द्वारा प्रथम स्वदेशी शहीद बाबू गेनू के जीवन परिचय के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही अन्य वक्ताओं ने स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगरपरिषद सवाई माधोपुर की पूर्व सभापति डॉ. विमला शर्मा ने की। इसी प्रकार चूरू जिले के सुजानगढ़, रतनगढ़, सरदारशहर, जयपुर, भरतपुर, सीकर, दौसा, अलवर समेत कई स्थानों पर शहीद वीर बाबू गेनू सईद के बलिदान दिवस पर संगोष्ठी, पुष्पांजलि आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में वक्ताओं ने स्वदेशी को बढ़ावा देने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत व स्वावलम्बन पर भी बल दिया।

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