खाद्यान्न सुरक्षा के साथ किसानों की सुरक्षा भी आवश्यक- निम्बाराम
खाद्यान्न सुरक्षा के साथ किसानों की सुरक्षा भी आवश्यक- निम्बाराम
भारतीय किसान संघ की दो दिवसीय प्रांत योजना बैठक रविवार को विद्या निकेतन गांधी नगर चित्तौड़गढ़ में संपन्न हुई। प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने बताया कि बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष बद्रीनारायण चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष दलाराम बटेसर, प्रांत अध्यक्ष शंकरलाल नागर, महामंत्री अंबालाल शर्मा, संगठन मंत्री परमानंद की उपस्थिति में किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर किए जाने वाले आंदोलन की व्यापक रणनीति बनाई गई। समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने संबोधित किया।
क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि खाद्यान्न सुरक्षा के साथ किसानों की सुरक्षा भी आवश्यक है। किसानों ने भरपूर उत्पादन कर देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है, लेकिन अभी तक किसान की हालत जस की तस है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ का नारा है, ‘देश के हम भंडार भरेंगे और कीमत पूरी लेंगे’। किसान जो फसल उगाता है उसको लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य अभी तक नहीं मिल रहा है। इसलिए किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और कृषि को लाभदायक बनाने के लिए सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्वच्छता, पर्यावरण जैसे विषयों को संगठन में नीचे तक लेकर जाना होगा।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि 19 दिसंबर को अपनी मांगों को लेकर ‘किसान गर्जना रैली’ की जाएगी। देशभर के किसान फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटेंगे। उन्होंने अपनी मांगों की चर्चा करते हुए कहा कि किसानों को अपने उत्पादों की इनपुट क्रेडिट नहीं मिल रही है, इसलिए कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त किया जाना चाहिए। दूसरा कृषि आदान में मुद्रास्फीति वृद्धि के अनुपात में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। महंगाई के अनुपात में डीए, भत्ता, इंक्रीमेंट बढ़ता है तो किसान निधि भी सम्मानजनक ही मिले।
प्रांत संगठन मंत्री परमानंद ने कहा कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर किसान संघ आंदोलन कर रहा है। क्योंकि सरकारों ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए हैं। इसलिए अब देश भर में भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ता प्रांत में ग्राम संपर्क, धरना, पदयात्रा करते हुए 19 दिसंबर को दिल्ली में लाखों की संख्या में किसान गर्जना रैली में शामिल होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करेंगे।
अध्यक्ष शंकरलाल नागर ने कहा कि सरकार को फर्टिलाइजर पर दी जी रही सब्सिडी कंपनियों को ट्रांसफर करने के बजाए सीधे किसानों के खाते में देनी चाहिए। यह निर्णय किसान का होना चाहिए कि वह किस कंपनी से खाद और कीटनाशक खरीदना चाहता है। यदि सरकार कंपनियों को सब्सिडी के रूप में दी जाने वाली राशि सीधे किसान के बैंक खातों में स्थानांतरित करेगी तो किसान अधिक खाद और कीटनाशक खरीदने के बजाय प्राकृतिक खेती की ओर जाएंगे। सब्सिडी के रूप में मिलने वाली राशि से वह मवेशी खरीद सकते हैं और मवेशियों के गोबर से खुद का ऑर्गेनिक खाद तैयार कर खेती में प्रयोग कर सकते हैं।
महामंत्री अंबालाल शर्मा ने कहा कि भारतीय किसान संघ फसलों के लाभकारी मूल्य की बात करता है। किसान संघ की ओर से एमएसपी यानी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ एमएसपी के विरुद्ध नहीं है। लेकिन हम एमएसपी को फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मानते हैं। भारतीय किसान संघ के अनुसार फसलों के ऊपर लाभकारी मूल्य फसल की लागत पर डेढ़ गुना लाभ जोड़कर घोषित होना चाहिए।
सूखा सामान और खाद्य सामग्री लेकर जाएंगे
प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने बताया कि 19 दिसंबर कि किसान गर्जना रैली को लेकर बैठक में व्यापक रणनीति तैयार की गई। रैली में चित्तौड़ प्रांत से 50 हजार किसान पहुंचेंगे। सभी किसान सूखी खाद्य सामग्री, आटा, दाल, चावल, कण्डे लेकर पहुंचेंगे। हर गाँव और ढाणी में किसानों से संपर्क करने और जनजागरण की भी चर्चा हुई है। इस दौरान ‘चलो न दिल्ली, किसान गर्जना रैली हमें बुलाए.. हमें भी जाना है…’ गीत का लोकार्पण किया गया।
आंदोलन के लिए टोली बनाई
किसान गर्जना रैली के लिए 50 सदस्यीय टोली का निर्माण किया गया है। जिसमें संयोजक रघुनाथ सिंह नाथावत, कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा, यातायात प्रमुख जगदीश खाती, मार्ग प्रमुख राधेश्याम गुर्जर, प्रचार प्रमुख आशीष मेहता, महिला प्रमुख रजनी नागर, व्यवस्था प्रमुख कैलाश गेंडोलिया को बनाया गया है।
दिल्ली चलो के नारों से गूंजा आसमान
आंदोलन को लेकर रणनीति बनाते हुए किसानों ने बैठक स्थल को “दिल्ली चलो” के नारों से गुंजा दिया। इस दौरान “लाभकारी मूल्य देना नहीं एहसान, जीएसटी मुक्त हो कृषि आदान.., हम अपना, अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते…, किसानों ने ठाना है, लाभकारी मूल्य पाना है..” जैसे नारे गूंजते रहे।