भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है- दत्तात्रेय होसबाले

भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है- दत्तात्रेय होसबाले

भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है- दत्तात्रेय होसबालेभारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है- दत्तात्रेय होसबाले

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ के दो मुख्य काम हैं – व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन। ये दोनों कार्य एक ही लक्ष्य के लिए हैं – भारत को परम वैभव पर पहुंचाना। परम वैभव का अर्थ केवल भारत आर्थिक और सामरिक रूप से सक्षम बने, यहां के सभी नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान मिले यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे भी अधिक है। भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है। भारत के महापुरुषों ने हमेशा विश्व कल्याण की बात की है और उसके लिए प्रयास किए हैं। सरकार्यवाह दत्‍तात्रेय होसबाले रविवार को लाल परेड मैदान में भोपाल विभाग के शारीरिक प्रकट कार्यक्रम में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। मंच पर मुख्य अतिथि भारत के पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त ओम प्रकाश रावत, मध्य क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी, प्रांत संघचालक अशोक पांडेय और भोपाल विभाग संघचालक डॉ. राजेश सेठी उपस्थित रहे।

सरकार्यवाह ने कहा कि संघ 95 वर्ष से राष्ट्र साधना में लगा है। संघ का काम सामूहिक कर्मयोग है। समाज को सामर्थ्यवान बनाने का काम है। भारत को विश्व में सम्मानजनक स्थान दिलाने का काम संघ का है। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए पहले चरण में हमें अपने देश के नागरिकों की खुशहाली के लिए कार्य करना है और उसके अगले चरण में विश्व की मंगल कामना का कार्य भारत करे, इस कार्य में संघ लगा है।

उन्होंने कहा कि अनुशासित समाज का निर्माण किए बिना हम भारत को प्रगति के पथ पर दूर तक नहीं ले जा सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक कार्य है। स्वास्थ्य, आर्थिक एवं विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति शील संपन्न हो, यह भी विश्वगुरु बनने के लिए आवश्यक है। पिछले 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा – देशहित में सरकार अनेक योजनाएं बना रही है, लेकिन नागरिकों के भी कुछ कर्तव्य हैं। हमें भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ व्यक्तियों में चरित्र निर्माण, अनुशासन, कर्तव्यबोध, सामूहिकता जैसे गुणों का विकास करने के लिए कार्य करता है। संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है ताकि उसकी व्यक्तिगत उन्नति हो और वह जगत के हित के लिए कार्य करे। भगिनी निवेदिता मानती थीं कि यदि देश के लोग सप्ताह में एक दिन आकर सामूहिक रूप से देश के बारे में विचार करें तो देश का वातावरण ही बदल जाएगा। संघ के संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार ने इस बात को समझा। देश का सामान्य व्यक्ति कैसा है, उसके आधार पर उस देश का भविष्य निर्धारित होता है। विदेशी यात्रियों ने भी अपने यात्रा वृत्तांतों में भारत के सामान्य लोगों के रहन–सहन और उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उल्लेख किया है।

उन्होंने कहा कि जो लोग समाज कंटक हैं, ऐसे लोग दूसरों को हराने, अपना अहंकार दिखाने और दूसरों का शोषण करने के लिए अपने ज्ञान, धन और बल का उपयोग करते हैं, जबकि सज्जन इन सबका उपयोग समाज के उत्थान के लिए करता है। इसलिए संघ ने अपने कार्य में शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रमों को जोड़ा है।

यह प्रसन्नता की बात है कि भारत करवट ले रहा है। भारत की मान्यता पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत के बारे में सकारात्मक सोचने की संख्या भी बढ़ रही है। अपने गांव और समाज का उत्थान करते हुए भारत की प्रगति में सहायक बन सकूं, ऐसा सोचने और करने वाले लोगों की संख्या भी समाज में बढ़ रही है।

मुख्य अतिथि एवं पूर्व चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने कहा कि यशस्वी भारत की संकल्पना पूरी करने के लिए संघ सुदृढ़ नींव रख रहा है। संघ के कार्यक्रमों एवं उसके गीतों में इसकी झलक दिखती है। आभासी दुनिया की जगह हमें प्रत्यक्ष जुड़ने के प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अपने स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण आज हम स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। उनके योगदान को हमें भूलना नहीं चाहिए।

संघ कार्य का मुख्य आधार शाखाएं हैं। शाखाओं में शारीरिक,  बौद्धिक, व्यवस्था, सेवा, संपर्क एवं प्रचार आदि कार्य विभागों के माध्यम से स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण किया जाता है। इस प्रशिक्षण से कार्यकर्ताओं के गुणों का विकास होता है तथा उनकी योग्यता और कुशलता भी बढ़ती है, जिससे वे समाज संगठन और राष्ट्र उन्नति के कार्य में यथाशक्ति कुशलतापूर्वक योगदान देते हैं। शाखाओं में स्वयंसेवक जो प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, उसकी एक झलक स्वयंसेवकों द्वारा कार्यक्रम में प्रस्तुत की गई।

प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने घोष वादन, प्रदक्षिणा संचलन, दंड के प्रयोग, प्रगत प्रयोग, गण समता, दंड योग, व्यायाम योग, योगासन, जैसे प्रयोग गुणवत्‍ता के साथ प्रस्तुत किए। इस अवसर पर तीन घोष दलों ने स्वास्तिक और ओंकार की रचनाओं का निर्माण किया।

भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है- दत्तात्रेय होसबाले

कार्यक्रम की तैयारी के लिए विगत 3 माह से स्वयंसेवक शाखाओं पर अभ्यास कर रहे थे। साथ ही नगर केंद्र पर रात्रिकालीन अभ्यास हेतु 104 शाखाओं को अभ्यास केंद्र के रूप में चयनित किया गया था। बाद में अभ्यास बढ़कर 214 शाखाओं तक पहुंचा। शारीरिक अभ्यास की दृष्टि से कुल 3300 स्वयंसेवकों ने अभ्यास प्रारंभ किया। गुणवत्‍ता के आधार पर अंतिम सूची 3166 चयनित स्वयंसेवकों की बनी। शाखा स्तर पर कुल 125 शिक्षकों ने प्रशिक्षण दिया। जिला केंद्र पर 2 बार एकत्रीकरण किए गए, जिसमें कुल 1527 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। विभाग स्तर पर भी दो बार एकत्रीकरण कर अभ्यास किया गया, जिसमें कुल संख्या 1603 स्वयंसेवकों की रही। घोष की तैयारी के लिए भी विभाग स्तर पर 3 शिविरों का आयोजन किया गया था, जिसमें 213 स्वयंसेवक वादकों ने 10 रचनाओं का अभ्यास किया।

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