महिलाओं के विरोध के चलते मिस इंडिया जूनियर के ऑडीशंस रद्द

महिलाओं के विरोध के चलते मिस इंडिया जूनियर के ऑडीशंस रद्द

महिलाओं के विरोध के चलते मिस इंडिया जूनियर के ऑडीशंस रद्दमहिलाओं के विरोध के चलते मिस इंडिया जूनियर के ऑडीशंस रद्द

जयपुर, 14 नवम्बर। आज आयोजकों को जयपुर में पिंक स्क्वायर मॉल में आयोजित मिस इंडिया जूनियर फैशन शो के ऑडीशंस को महिलाओं के विरोध के चलते रद्द करना पड़ा। स्वयंसेवी संस्था मनसा के साथ ही अन्य संस्थाओं युवा साथी संगठन, मन संचार, यूथ पल्स, यू थिंक आदि की महिलाओं ने नारेबाजी करते हुए आयोजकों से ऑडीशन बंद करने की मांग की। वे ‘बेटियों का उपयोग बाजार के लिए करना बंद करो’, ‘बच्चों की सुंदरता उनकी मासूमियत में है’, बचपन मासूम है, उसे बाजारवाद का खिलौना मत बनाओ’, बेटी है कुदरत का उपहार नहीं दिखावे का सामान’, ‘नारी देह नहीं बिकाऊ’ जैसे नारे लिखी तख्तियां हाथ में लिए प्रदर्शन कर रही थीं। आयोजकों ने पहले तो प्रदर्शन का विरोध किया, लेकिन फिर तीव्रतर विरोध को देखते हुए उन्हें कार्यक्रम रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

महिलाओं का कहना था कि 4-15 वर्ष की आयु में बच्चे अपरिपक्व होते हैं। बच्चों की यह आयु खेलने कूदने और पढ़ने की होती है, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास होता है। सौंदर्य स्पर्धाएं चेहरे और शरीर की चमक दमक को बढ़ावा देती हैं। इससे बच्चियां पढ़ाई और पाठ्येत्तर गतिविधियों से विमुख हो सकती हैं। वे ब्यूटी ट्रीटमेंट, कॉस्मेटिक सर्जरी, डाइटिंग आदि के चक्कर में पड़कर अपने स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ कर सकती हैं। आमतौर पर ऐसी प्रतियोगिताएं एजेंडे पर आधारित और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मानव का वस्तुकरण होता है। हमें अपनी बच्चियों को बाजारवाद और उपभोक्तावाद के चंगुल में फंसने से बचाना होगा। कहीं ऐसा न हो कि प्रसिद्धि के भुलावे में हम उनका बचपन और मासूमियत ही छीन लें।

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