मून लैंडर विक्रम का लैंडिंग प्वाइंट शिवशक्ति कहलाएगा
मून लैंडर विक्रम का लैंडिंग प्वाइंट शिवशक्ति कहलाएगा
- मून लैंडर विक्रम का लैंडिंग प्वाइंट शिवशक्ति कहलाएगा
- जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े थे, उस स्थान को अब तिरंगा प्वाइंट कहा जाएगा
- हर वर्ष, 23 अगस्त का दिन राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रीस से आने के बाद बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) का दौरा किया और चंद्रयान-3 की सफलता पर टीम इसरो को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-3 मिशन में शामिल इसरो के वैज्ञानिकों से भेंट की।
वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा अवसर बेहद दुर्लभ होता है, जब शरीर और मन इस तरह की खुशी से भर जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण सफलता नहीं है। यह उपलब्धि अनंत अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक शक्ति की शुरुआत करती है। भारत चंद्रमा पर है, हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा पर है। लैंडिंग का वह क्षण राष्ट्र की चेतना में अमर हो गया है। लैंडिंग का क्षण इस सदी के सबसे प्रेरणादायक क्षणों में से एक है। हर भारतीय ने इसे अपनी जीत के रूप में लिया।
हमारे ‘मून लैंडर विक्रम’ ने ‘अंगद’ की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमा लिया है, एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। पूरी दुनिया भारत की वैज्ञानिक भावना, तकनीक और हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है। चंद्रयान-3 की सफलता केवल भारत की नहीं है, बल्कि पूरी मानवता की है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि, ‘चंद्रयान-3 का मून लैंडर विक्रम जिस स्थान पर उतरा था, उसे अब ‘शिवशक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का यह “शिवशक्ति” प्वाइंट हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है।
पवित्र संकल्पों को शक्ति के आशीर्वाद की आवश्यकता है और शक्ति हमारी नारी शक्ति है। चंद्रयान-3 चंद्र मिशन की सफलता में महिला वैज्ञानिकों ने, देश की नारी शक्ति ने बड़ी भूमिका निभाई है। चंद्रमा का ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट, सदियों तक भारत के वैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन का साक्षी बनेगा।
जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े थे, उस स्थान को अब ‘तिरंगा’ कहा जाएगा। तिरंगा प्वाइंट, भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा और हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती। अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सफलता मिलकर ही रहती है।
उन्होंने कहा, मंगलयान और चंद्रयान की सफलताओं और गगनयान की तैयारी ने देश की युवा पीढ़ी को एक नया दृष्टिकोण दिया है। आज भारत के बच्चों के बीच चंद्रयान का नाम गूंज रहा है। हर बच्चा वैज्ञानिकों में अपना भविष्य देख रहा है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 23 अगस्त, चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के दिन को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस विज्ञान, तकनीक और नवाचार की स्पिरिट को सेलिब्रेट करेगा और हमें हमेशा-हमेशा के लिए प्रेरित करता रहेगा।
उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी भारत के प्राचीन ग्रंथों में खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक रूप से साबित करने के लिए और उनका नए सिरे से अध्ययन करने के लिए आगे आए। यह हमारी विरासत के लिए भी महत्वपूर्ण है और विज्ञान के लिए भी। भारत के पास विज्ञान के ज्ञान का जो खजाना है, वो गुलामी के लंबे कालखंड में दब गया है, छिप गया है। स्वाधीनता के इस अमृतकाल में हमें इस खजाने को भी खंगालना है, उस पर रिसर्च भी करनी है और दुनिया को इसके बारे में बताना भी है।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से 1 सितंबर से MyGov द्वारा चंद्रयान मिशन पर आयोजित एक विशाल प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेने का भी आग्रह किया।