राजस्थान : अवैध खनन का सिरमौर बना हुआ है खान मंत्री का जिला बारां

राजस्थान : अवैध खनन का सिरमौर बना हुआ है खान मंत्री का जिला बारां

राजस्थान : अवैध खनन का सिरमौर बना हुआ है खान मंत्री का जिला बारांराजस्थान : अवैध खनन का सिरमौर बना हुआ है खान मंत्री का जिला बारां

जयपुर। राजस्थान में अवैध खनन जोरों पर है। फिर ये खानें पौराणिक महत्व की हों या अभ्यारण्य क्षेत्र में आती हों। माफिया और शासन को इससे कोई लेना देना नहीं। आदिबद्री और कनकांचल में खनन को रोकने के लिए एक संत बलिदान हो गए। तब जाकर सरकार को उनका महत्व समझ में आया। लेकिन अभी भी कई सारे क्षेत्र ऐसे हैं, जहॉं अवैध खनन हो रहा है, जिसके दूरगामी परिणाम विनाशकारी ही होने वाले हैं।

बाकी स्थान छोड़ें और सिर्फ प्रदेश के खान मंत्री के गृह जिले  कोटा सम्भाग के बारां की ही बात करें, तो यह जिला पत्थर और बजरी के अवैध खनन का सबसे बड़ा केन्द्र बना हुआ है।  स्वयं सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि पिछले तीन वर्षों में बारां जिले में अवैध खनन के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं। इसके चलते खान मंत्री इन दिनों अपनी पार्टी के ही वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर के निशाने पर हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर यहां तक कह दिया है कि प्रदेश में खनन माफिया को काबू करना है तो सबसे पहले खान मंत्री को पद से हटाओ, क्योंकि सबसे बड़े खान माफिया तो स्वयं खान मंत्री हैं।

राजस्थान : अवैध खनन का सिरमौर बना हुआ है खान मंत्री का जिला बारां

यूं तो भरत सिंह कुंदनपुर और प्रमोद जैन भाया की राजनीतिक शत्रुता नई नहीं है और भरत सिंह लगातार भाया के विरुद्ध मुख्यमंत्री को पत्र लिखते रहे हैं। स्थिति यह है कि बारां जिले में भाया के विरुद्ध पत्थर, बजरी, रेती के अवैध खनन में लिप्त होने के पोस्टर तक लगे देखे जा सकते हैं। हालांकि ये पोस्टर किसने लगवाए हैं, यह सामने नहीं आया है। दोनों का मौजूदा विवाद कोटा से लगभग 40 किलोमीटर दूर सोरसन पक्षी अभ्यारण्य के संरक्षण को लेकर है। यह अभयारण्य बारां के वन क्षेत्र का हिस्सा है और प्रदेश के राज्य पक्षी गोडावण के लिए जाना जाता था। बताया जाता है कि इस अभयारण्य के निकटवर्ती क्षेत्र में ही पत्थर की एक खान आवंटित है और यहां से वैध के साथ ही भारी मात्रा में अवैध खनन भी होता है, हालांकि अधिकृत तौर पर इसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है, लेकिन भरत सिंह ने जिस तरह इस अभयारण्य को बचाने और इसके लिए भरतपुर के बाबा विजयदास की तरह आत्मदाह का रास्ता तक अपनाने की चेतावनी दी है, वह यहां अवैध खनन की बातों को पुष्ट करता है।

बारां में कोई मूल्यवान खनिज सम्पदा नहीं है। यहां मुख्य तौर पर पत्थर का खनन होता है। ये खानें यहां के शाहबाद और किशनगंज और आसपास के क्षेत्रों में हैं। इसके अलावा पार्वती नदी, बजरी और रेत के खनन का केन्द्र है। इसके साथ ही मांगरोल कस्बे में ग्रामीण क्षेत्र से होकर निकल रहे नदी-नालों में अवैध खनन का जोर है तो इधर मांगरोल के निकट रामगढ़ क्षेत्र में भी अवैध खनन का जोर है। बजरी के खनन पर रोक के समय तो यहां हालात बहुत ज्यादा खराब थे और बताया जा रहा है कि अभी भी कोई विशेष सुधार नहीं है। वैसे तो प्रमोद जैन भाया के स्वयं या उनके रिश्तेदार के नाम से कोई खान यहां नहीं बताई जाती है, लेकिन कहा जाता है कि मंत्री होने के नाते पूरे क्षेत्र की खनन गतिविधियों में उनका दखल पूरा है।

प्रमोद जैन भाया बारां में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं और उनके कद का कोई दूसरा नेता अभी वहां कांग्रेस में नहीं है। पूरे बारां जिले में उनकी धाक है। उनकी पत्नी उर्मिला जैन अभी बारां की जिला प्रमुख हैं और उनका जिला प्रमुख बनना भी इस बात का सबूत है कि भाया बारां जिले में कितना असर रखते हैं, क्योंकि जिला परिषद के चुनाव में कांग्रेस बारां में हार गई थी और उसकी सीटें भाजपा से कम थीं, लेकिन इसके बावजूद क्रॉस वोटिंग हुई और वे जिला प्रमुख बन गईं। भाया तीसरी बार विधायक बने हैं। पहली बार वर्ष 2003-08 के बीच विधायक बने थे। इसके बाद फिर जीते और अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में मंत्री बनाए गए। हालांकि उन्हें बीच में ही हटाया गया। इसके बाद वे चुनाव हार गए, लेकिन इस बार फिर जीत कर पहुंचे और फिर से खान मंत्री बना दिया गया। इस बार अंतर यह है कि स्वयं कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ नेता भरत सिंह की कई शिकायतों के बावजूद प्रमोद जैन भाया अपने पद पर बने हुए हैं।

सरकार ने स्वयं माना कि बारां में अवैध खनन के सबसे अधिक मामले
खान मंत्री के गृह जिले में अवैध खनन के सबसे अधिक मामले दर्ज होने की बात स्वयं सरकार ने मानी है। विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने माना है कि खान विभाग और वन विभाग की ओर से अवैध खनन के सबसे अधिक मामले बारां जिले में ही दर्ज किए गए हैं।

प्रदेश में जनवरी 2020 से जनवरी 2022 तक 2 वर्षों में अवैध खनन के 4,868 मामले सामने आए। इस अवधि में खान विभाग ने 1303, वन विभाग ने 3565 केस दर्ज किए।

टॉप-10 जिले, जहां दर्ज हुए सर्वाधिक केस
जिला     दर्ज मामले
बारां –         493
कोटा-         456
अलवर –     400
चित्तौड़गढ़ – 304
टोंक-          258
बूंदी-           249
भीलवाड़ा-   246
स.माधोपुर- 229
करौली-       211
जयपुर-       210

(खनन व वन विभाग की कार्रवाई जनवरी 2020 से जनवरी 2022 तक)

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