राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक जीवन दृष्टि है, अनुभव है – दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक जीवन दृष्टि है, अनुभव है - दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक जीवन दृष्टि है, अनुभव है - दत्तात्रेय होसबाले

  • यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा – योगी आदित्यनाथ
  • सुनील आंबेकर की पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ का हुआ लोकार्पण

लखनऊ, 27 फरवरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को समझने के लिए उसके सेवा भाव को समझना होगा। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जो बिना किसी सरकारी सहयोग के सेवा कार्य करता है।
मुख्यमंत्री योगी राजधानी लखनऊ में गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

योगी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ मात्र एक पुस्तक नहीं है। यह एक दृष्टि है। उन्होंने कहा कि संघ का सेवा कार्य लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है। बूंद और शक्कर के मिलन की तरह ही आरएसएस अपनी उपस्थिति का एहसास कराता रहा है।  यही इस पुस्तक में भी दिया है। यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में भी संघ ने अपने सेवाभाव का एहसास कराया। लोग चिंतित थे कि लॉकडाउन में परिस्थितियों को कैसे संभाला जाये। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहला संगठन था, जो लोगों को घर-घर जाकर सहायता पहुंचाने के लिए आगे आया था। राज्य सरकारों ने उपेक्षा की होगी, लेकिन आरएसएस ने किसी की उपेक्षा नहीं की। सेवा की यह पराकाष्ठा रही कि लोगों को चप्पल पहनाने से लेकर घर पहुंचाने तक का काम संघ स्वयंसेवकों ने किया। स्वयंसेवकों ने किसी की जाति, किसी का धर्म नहीं पूछा।

उन्होंने कहा कि सेवा भाव का ही परिणाम था जो मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में सरकारों को सहायता मिल पायी। इसलिए यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा। देश में कहीं भी आपदा आती है तो स्वयंसेवक स्व स्फूर्त रूप से वहां के सेवा भाव से जुड़ता है। यही राष्ट्र प्रेम है। आपदा के समय स्वयं की चिंता नहीं करते हुए गरीबों के जीवन में किस तरह संघ ने आनंद भरा, यह पूरी दुनिया ने देखा है।

संघ के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में मिथ्या प्रचार अधिक हो गया था। इसके बारे में बिना जाने बोलने वालों की संख्या ज्यादा हो गयी थी। उन्होंने कहा कि संघ एक जीवन दृष्टि है, यह एक अनुभव है। यह एक समाज में एक संगठन नहीं है। यह एक समाज का संगठन है। यह सभी को संगठित करता है। हम समाज में रहते हैं और सभी को संगठित करते रहते हैं।  संघ को समझने के लिए ऐसे कई सूत्र हैं। ऐसी ही ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ एक पुस्तक है। किसी एक व्यक्ति का विचार या मत संघ नहीं होता। यहां समूह का मत होता है।

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जिस तरह से किसी एक बिंदु को देखकर पूरे हिन्दू समाज के बारे में कह देना उपयुक्त नहीं होगा। वैसे ही किसी जगह को देखकर पूरे भारत के बारे में नहीं कह सकते। हिन्दुस्तान की पहचान हिन्दू है। इसकी पहचान हिन्दुत्व है। हिन्दुत्व का अर्थ हिन्दू धर्म नहीं है। इसको संकुचित रूप से नहीं देखना चाहिए। संकुचन के कारण ही कुछ लोगों ने संघ के बारे में संकुचित विचार रख दिया।

पूर्व में वरिष्ठ स्तम्भकार नरेन्द्र भदौरिया और गोविंद वल्लभ पंत संस्थान के निदेशक बद्री नारायण ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बताया। पुस्तक के लेखक सुनील आंबेकर ने कहा कि वह विश्वविद्यालयों में जाते थे तो संघ के बारे में लोगों की बहुत सारी जिज्ञासाओं के बारे में पता चलता था। ऐसे लोग भी मिलते थे जिन्हें लगता था कि भारत के बारे में जो भी उन्होंने जाना वह संपूर्ण नहीं है। विदेशों में रह रहे भारतीयों में यह विचार देखा गया कि वे भारत के लिए क्या कर सकते हैं। ऐसे में मेरे भीतर यह भाव जागा कि मैं इनके लिए क्या कर सकता हूं।

इसी विचार के आने के बाद मैंने इस पुस्तक के बारे में विचार किया और संगठन के प्रति उठ रही जिज्ञासाओं का समाधान  पुस्तक के माध्यम से करने का प्रयास किया। इस एक पुस्तक में संघ को समाहित नहीं किया जा सकता लेकिन मैं जो भी समझ पाया, उसे समझाने का प्रयास किया।

उल्लेखनीय है कि सुनील आंबेकर ने पूर्व में ‘द आरएसएस-रोडमैप्स फॉर द 21 सेंचुरी’ नामक पुस्तक अंग्रेजी में लिखी थी, जिसका वर्ष 2019 में संघ प्रमुख मोहन राव भागवत ने लोकार्पण किया था। शुक्रवार को जिस पुस्तक का लोकार्पण हुआ, वह अंग्रेजी पुस्तक का ही हिन्दी रूपान्तरण है। इसका हिंदी में अनुवाद डा. जितेंद्र वीर कालरा ने किया है। प्रभात प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है। 272 पृष्ठों की इस पुस्तक के माध्यम से सुनील आंबेकर ने संघ और संघ की आंतरिक कार्यप्रणाली को दस अध्यायों में सम्पूर्ण विश्व के सामने रखा है। इनमें संघ की भावभूमि, संघ की मूल अवधारणाएं, संघ की कार्यप्रणाली, शाखा पद्धति तथा संरचना, संघ की दृष्टि में भारत का इतिहास, हिंदुत्व का पुनरोदय, जाति प्रथा और सामाजिक न्याय, भूमंडलीकरण, आधुनिकता और महिला आंदोलन प्रमुख हैं। यह पुस्तक संघ की कार्यप्रणाली और उसकी भावी योजनाओं को विस्तार से समझाती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक जीवन दृष्टि है, अनुभव है - दत्तात्रेय होसबाले

लोकार्पण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल, अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल, संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर, वरिष्ठ प्रचारक मनोजकांत, अवध प्रान्त के प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक दुबे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र संगठन मंत्री रमेश गरिया, प्रांत संगठन मंत्री घनश्याम शाही और अवध प्रान्त के सह प्रान्त प्रचार प्रमुख दिवाकर अवस्थी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रमुख प्रभात कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र सिंह ने किया।

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