स्वाधीनता के अमृत काल में विवेकानन्द संदेश यात्रा
उमेश कुमार चौरसिया
स्वाधीनता के अमृत काल में विवेकानन्द संदेश यात्रा
सन् 1857 से चले लम्बे स्वाधीनता संग्राम के उपरान्त भारत 15 अगस्त 1947 को स्वाधीन हुआ। इस वर्ष हमारी स्वाधीनता को 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारत की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं के बलिदान और मातृभूमि के प्रति समर्पण का स्मरण करते हुए, ज्ञान, विज्ञान इत्यादि समस्त क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर तीव्रगति से अग्रसर हो रहे भारत की वैश्विक महत्ता और आवश्यकता को समझने तथा उस पर गर्व करते हुए, नये विकसित भारत के निर्माण में जुट जाने का संकल्प लेते हुए, हम ‘भारत की स्वाधीनता का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं।
यह भी गर्व का विषय है कि इसी वर्ष विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना के 50 वर्ष भी पूर्ण हो रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द के ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के भाव से ‘मनुष्य निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ के संदेश को विश्वजन तक पहुँचाने के ध्येय को धारण करते हुए ‘अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन-विवेकानन्द केन्द्र’ की स्थापना 07 जनवरी, 1972 के दिन सूर्याोदय के समय विवेकानन्द शिला स्मारक कन्याकुमारी पर भगवा ध्वज फहराकर की गयी थी। श्री एकनाथजी रानडे के अनथक परिश्रम और कुशल नेतृत्व में स्थापित विवेकानन्द केन्द्र, तब से लगातार कन्याकुमारी मुख्यालय और देशभर में स्थापित 1331 शाखाओं व प्रकल्पों के माध्यम से 180 पूर्णकालिक और 6737 दायित्ववान संकल्पित कार्यकर्तांओं के साथ राष्ट्र और समाज की सेवा में समर्पित रूप से कार्य करते हुए, इस वर्ष 07 जनवरी, 2023 को गौरवशाली 50 वर्ष पूर्ण कर रहा है।
इन स्वर्णिम पचास वर्षों में केन्द्र ने 75 विवेकानन्द केन्द्र विद्यालय, 200 आनन्दालय, 195 बालवाड़ी, बीएड कॉलेज, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय तथा विवेकानन्द केन्द्र नर्सिंग स्कूल के माध्यम से शिक्षा सेवा, विविध अस्पताल, मेडिकल डिस्पेंसरी, मोबाइल चिकित्सा वैन तथा विवेकानन्द स्वास्थ्य सेवा सदन आदि के द्वारा स्वास्थ्य सेवा, विवेकानन्द प्राकृतिक स्रोत विकास परियोजना, ग्रीन रामेश्वरम प्रोजेक्ट, वैदान्तिक एप्लीकेशन इन योग एंड मैनेजमेंट, विवेकानन्द इन्टरनेशनल फाउण्डेशन नयी दिल्ली, विवेकानन्द केन्द्र वैदिक विजन फाउण्डेशन, एकेडमी फॉर इण्डियन कल्चर, योग एंड मैनेजमेंट इत्यादि प्रकल्पों के द्वारा जनजाति व ग्राम्य कल्याण और सांस्कृतिक शोध व प्रसार का कार्य कर रहा है। आठ भाषाओं में नियमित पत्रिका व सद्साहित्य का प्रकाशन भी कर रहा है।
भारत की स्वतंत्रता के इस अमृत काल में युवा संन्यासी स्वामी विवेकानन्द के ओजस्वी विचार अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। अपनी आध्यात्मिक शक्ति, गौरवपूर्ण संस्कृति-संस्कारों से ओतप्रोत अद्भुत सामर्थ्य, वैश्विक शांति और सौहार्द के लिए वसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय दर्शन और मानव कल्याण की प्रेरणा देने वाले सनातन धर्म, अमृत परिवार की संकल्पना एवं मूल्यपरक आचरण के कारण ही भारत विश्वगुरु की प्रतिष्ठा को प्राप्त है। इस विश्व आदर्श की प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने तथा भारतीय स्वतंत्रता को यथार्थ रूप से समझने के लिए भारत के प्रति स्वामी विवेकानन्द की समग्र दृष्टि और संदेश पर चिन्तन करने और उसके अनुसरण करने की आवश्यकता है।
स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द के राष्ट्रचेतना जाग्रत करते हुए मानव मात्र के कल्याण की प्रेरणा देने वाले विचारों-संदेशों को राजस्थान प्रदेश के जन-जन तक ले जाने के उद्देश्य को लेकर ही विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से ‘विवेकानन्द संदेश यात्रा राजस्थान’ का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा स्वामी विवेकानन्द को विशिष्ट पहचान देने वाली भावभूमि खेतड़ी नगर से केन्द्र के संस्थापक श्री एकनाथ रानडे की जयंती साधना दिवस 19 नवम्बर, 2022 को आरंभ होकर सम्पूर्ण राजस्थान में सभी सात संभागों के 33 जिलों में 75 स्थानों पर होते हुए 50 दिन की यात्रा पूर्ण कर स्थापना दिवस 07 जनवरी, 2023 को जोधपुर में सम्पन्न होगी। स्वामी विवेकानन्द खेतड़ी, अलवर, जयपुर, अजमेर, सिरोही, आबू पर्वत आदि राजस्थान के जिन भी स्थानों पर आए थे, विशेष तौर पर उन सभी स्थानों पर भी यात्रा जाएगी।