वेदप्रताप वैदिक का निधन हिन्दी और पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति

वेदप्रताप वैदिक का निधन हिन्दी और पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति

वेदप्रताप वैदिक का निधन हिन्दी और पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षतिवेदप्रताप वैदिक का निधन हिन्दी और पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति

वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक का आज सुबह (मंगलवार, 14 मार्च, 2023) निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। हिन्दी को बढ़ावा देने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

जेएनयू के छात्र रहे वेदप्रताप वैदिक अपने हिन्दी प्रेम को लेकर सर्वाधिक चर्चित तब हुए, जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर अपना शोध प्रबंध हिन्दी में लिखा, जो  विश्वविद्यालय द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। तब जेएनयू में   अंग्रेजी में लिखे शोध प्रबंध ही स्वीकार किए जाते थे। लेकिन छात्र वेदप्रताप ने हार नहीं मानी। मामले की गूंज संसद तक पहुंची। डॉ. राममनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी, आचार्य कृपलानी, हीरेन मुखर्जी और चन्द्रशेखर सहित अनेक राजनेताओं ने वैदिक का समर्थन किया। आखिरकार जेएनयू के संविधान में संशोधन हुआ। डॉ. वैदिक के शोध प्रबंध को स्वीकार किया गया। तब से देशभर में डॉ. वेदप्रताप वैदिक की पहचान हिन्दी के योद्धा की हो गई।

उन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में हिन्दी के लिए सत्याग्रह किया और जेल गए। वे हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में सदैव प्रयत्नशील रहे। उन्होंने पत्रकारिता में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया। उनका निधन हिन्दी और पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

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