समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता के विरोध में महिलाएं, सौंपे ज्ञापन
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता के विरोध में महिलाएं, सौंपे ज्ञापन
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के सम्बंध में राजस्थान के विभिन्न शहरों में महिलाओं ने अपना विरोध जताते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे।
जयपुर में मंगलवार को बड़ी संख्या में महिलाएं कलक्ट्रेट पहुंचीं और कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन देने आईं गुलशन शेखावत ने कहा कि भारत में विवाह को एक संस्कार के रूप में स्वीकार किया गया है। यहॉं परिवार मूल संस्कृति व परंपराओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करने का कार्य करता है। हमारे आदर्श समाज की परंपरा में समलैंगिक विवाह थोपना एक विदेशी षड्यंत्र है। विदेशों में चलने वाले मापदंडों को भारतीय समाज के संदर्भ में जबरदस्ती लागू करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।
सवाई माधोपुर में महिलाओं ने जागृत नारी शक्ति की ओर से जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और सर्वोच्च न्यायालय से समलैंगिक विवाह के संदर्भ में शीघ्रता एवं आतुरता में स्वीकार्यता ना देने का अनुरोध किया। महिलाओं का कहना था कि भारत अभी अनेक सामाजिक एवं आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। समान नागरिक संहिता और जनसंख्या विस्फोट जैसे बड़े मुद्दे देश के सामने हैं। कोर्ट में अनेक ऐसे केस पड़े हैं, जो वर्षों से निर्णय की बाट जोह रहे हैं। ऐसे समय में समलैंगिक विवाह पर तेजी से सुनवायी कितनी उचित है, ज्यूडीशियरी को स्वयं इसका संज्ञान लेना चाहिए।
बारां में ज्ञापन देने आईं अरुणा शर्मा ने कहा कि न्यायालय व्याख्यान से विवाह के मूर्त स्वरूप को न तो नष्ट कर सकता है न नवीन स्वरूप दे सकता है और न ही नई मान्यता प्रदान कर सकता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि समलैंगिक विवाह को किसी भी स्थिति में कानूनी मान्यता न दी जाए। यह किसी भी दृष्टि उचित नहीं है।
समलैंगिक विवाह प्रकृति विरुद्ध है ।इसे मान्यता देना प्रकृति से खिलवाड़ करना है ।ऐसा नहीं होना चाहिए।