समलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात- महिला जागृति समूह

समलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात- महिला जागृति समूह

समलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात- महिला जागृति समूहसमलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात- महिला जागृति समूह

जयपुर, 3 मई। समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता देने को लेकर चल रही सुनवाई के बीच देशभर में चिंता व विरोध भी बढ़ता जा रहा है। बुधवार को जयपुर में जागृत महिलाओं ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया और ज्ञापन में समलैंगिक विवाह को देश की संस्कृति के विरुद्ध बताया। महिला जागृति समूह व आम-जनमानस समलैंगिक विवाह को मान्यता न देने की मांग कर रहा है।

महिलाओं का कहना था कि समलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात है। समूह की डॉ. सुनीता अग्रवाल ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सांस्कृतिक मूल्यों का हनन होगा। साथ ही कहा कि कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है, न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप न करे। संसद का काम संसद को ही करने दें। समूह में शामिल शालिनी राव ने कहा कि भारत के सामाजिक ढांचे में विवाह एक पवित्र संस्कार है और उसका उद्देश्य मानव जाति का उत्थान है। इसमें  जैविक पुरुष और जैविक महिला के मध्य विवाह को ही मान्यता दी गई है। समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दे पर न्यायालय की सक्रियता का समर्थन मिला तो यह भारत की संस्कृति को कमजोर करेगा।

बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंची सभी महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि न्यायपालिका को विधायिका के क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। समलैंगिक विवाह के विषय में न्यायालय को सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

 

समलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात- महिला जागृति समूह

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *