हम राष्ट्रीय हैं, राष्ट्रवादी नहीं- डॉ. मनमोहन वैद्य

हम राष्ट्रीय हैं, राष्ट्रवादी नहीं- डॉ. मनमोहन वैद्य

सनसिटी कॉलम राइटर एंड स्कॉलर्स मीट कार्यक्रम
हम राष्ट्रीय हैं, राष्ट्रवादी नहीं- डॉ. मनमोहन वैद्यहम राष्ट्रीय हैं, राष्ट्रवादी नहीं- डॉ. मनमोहन वैद्य

जोधपुर, 2 अप्रैल। विश्व संवाद केंद्र जोधपुर प्रान्त द्वारा रविवार को सनसिटी कॉलम राइटर एंड स्कॉलर्स मीट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा, आज भारत स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में लेखन के लिए शब्दों का समुचित चयन होना चाहिए। कहा जाता है भारत विविधता में एकता का देश है, जबकि कहा जाना चाहिए कि हम विविधता का उत्सव मनाते हैं। इसी प्रकार हम राष्ट्रीय हैं, राष्ट्रवादी नहीं। हिंदू हैं, हिंदूवादी नहीं। हिन्दू वाद नहीं है। हिंदू मत है, परंपरा है। राष्ट्रवाद शब्द समुचित नहीं है, इसकी जगह राष्ट्रीय शब्द ही अपने आप में उपयुक्त है। दरअसल जहां से फासीवाद, नाज़ीवाद जैसे शब्द आते हैं, उसी के अनुकरण में हम जातिवाद, हिंदूवाद जैसे शब्द लिखने लगते हैं, जबकि जाति भेद के स्थान पर जाति व्यवस्था सही शब्द है।

सत्र को संबोधित करते हुए दैनिक समाचार पत्र महानगर टाइम्स के संस्थापक सम्पादक गोपाल शर्मा ने कहा कि आज तक हमने वही इतिहास पढ़ा है, जो हमे पढ़ाया जाता रहा। अब आवश्यकता है इतिहास के सही तथ्य सामने लाए जाएं। इसके लिए अध्ययन की आवश्यकता है। जहाँ से सही तथ्य मिलें, उनके आधार पर लिखें। जहां तक किसी आशंका के चलते सही आवाज उठाने में संकोच का प्रश्न है, उसका समाधान सिर्फ इतना है कि कलम में तथ्य बताने का साहस होना ही चाहिए।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में कला संकाय के डीन प्रो. नंद किशोर पांडे ने कहा कि समाज को जागरूक बनाने के लिए लेखन आवश्यक है। नई पुस्तकें आने पर पुरानी स्वतः नेपथ्य में चली जाती हैं। नया विमर्श स्थापित करने के लिए बड़ा कथ्य स्थापित करना होगा। ताकत और सामर्थ्य जब बढ़ती है, तो देश की बात दुनिया सुनती है। वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करना, विश्व योग दिवस मनाया जाना, कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं। उन्होंने धर्म और वेदों के बारे में भी चर्चा की।

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