स्वत्व जागरण से भारत पुनः होगा विश्व गुरु- भगवती प्रसाद
स्वत्व जागरण से भारत पुनः होगा विश्व गुरु- भगवती प्रसाद
सीकर। स्वत्व के जागरण से ही यह राष्ट्र पुनः विश्व में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर सकता है। आज भी भारत के पास संसार में सबसे अधिक प्राकृतिक संसाधन एवं मानव शक्ति है। कार्यशील आयु की जनसंख्या आज भारत में 90 करोड़ के लगभग है, जो 2030 तक एक अरब से भी अधिक हो जाएगी। हम विश्व में 400 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं। इसके लिए हमें स्वनिर्मित उत्पादनों का अधिक से अधिक उपभोग करना प्रारंभ करना होगा। स्व का भाव जागृत करने से ही यह संभव हो सकता है। ये विचार सीकर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर प्रांत के महाविद्यालय विद्यार्थी एवं व्यवसायी स्वयंसेवकों के प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन कार्यक्रम में डॉ. भगवती प्रसाद शर्मा, अखिल भारतीय सह संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारी समाज व्यवस्था में ऊंच-नीच व छुआछूत का भाव नहीं था। सभी मत पंथों में सामंजस्य था। शूद्र कोई नीचा संबोधन नहीं था। शूद्र का अर्थ होता था जो अपने मेहनत के पसीने से नए-नए उत्पादन करता है। पहले के समय में जब नया राज्य बसाया जाता था तो वहां शूद्रों की संख्या अधिक बसाई जाती थी ताकि अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त हो और राज्य जल्दी ही उन्नति शील बने। मुगलों के आक्रमण के पश्चात हिन्दुओं को या तो कन्वर्जन के लिए विवश किया जाने लगा या फिर जो अपना धर्म नहीं बदलते थे उनसे मैला उठवाने का कार्य करवाया जाने लगा।
भगवती प्रसाद ने कहा कि आज हम सभी प्रशिक्षित स्वयंसेवकों का यह कर्तव्य है कि हम अपने अपने क्षेत्रों में जाकर समाज में व्याप्त अस्पृश्यता छुआछूत आदि बुराइयों को समाप्त करने का प्रयत्न करें। प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्र व स्व का भाव जागृत हो तथा समाज संगठित होकर देश के समक्ष उत्पन्न समस्याओं का निदान करने में सफल हो। यही प्रयत्न आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है।
कार्यक्रम में सांगलिया धूणी के पीठाधीश्वर ओम दास महाराज ने अपने संबोधन में समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध लड़ने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल कमल कुमार रेप्सवाल ने कहा कि मैंने जब संघ को निकटता से देखा तो मुझे लगा कि हमें बहुत पहले ही इससे जुड़ जाना चाहिए था। देश को वर्तमान परिस्थितियों में संभालने का कार्य केवल संघ ही कर सकता है।
समारोप कार्यक्रम में 289 शिक्षार्थियों ने नियुद्ध, दंड, योग, व्यायाम का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में संत राघवाचार्य महाराज, अमर दास महाराज, अवधेशाचार्य, चंद्रमा दास, महावीर जती, स्वामी सुमेधानंद, पवन दास, रोहित, बालक नाथ और मनोहर शरण भी सम्मिलित हुए। इनके अलावा नगर एवं आसपास के प्रबुद्ध नागरिकों एवं माता बहनों ने भी भाग लिया। सीकर जिला संघचालक चितरंजन सिंह राठौड़ ने बताया कि कार्यक्रम में आए सभी लोगों ने स्वयंसेवकों द्वारा प्रदर्शित शारीरिक कार्यक्रमों एवं मंच द्वारा रखे विचारों की बहुत प्रशंसा की।