पुष्कर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक संपन्न

पुष्कर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक संपन्न

पुष्कर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक संपन्नअखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक संपन्न

अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक 10 जुलाई 2022 को प्रातः 10:00 बजे से सायं 4:30 बजे तक माहेश्वरी सेवा सदन, पुष्कर में सम्पन्न हुई। उद्घाटन सत्र में संस्कृति चिंतक व संगठन के संपर्क अधिकारी हनुमान सिंह ने कहा कि कालजयी साहित्य वही है जो समसामयिक भी हो। इसलिए साहित्यकार को कालद्रष्टा की तरह विचार करते हुए ऐसे लोकग्राह्य सहित्य का सृजन करना होगा जो मनोरंजन की व्यक्ति आधारित दृष्टि से ऊपर उठकर लोकरंजन से लोकमंगल की ओर ले जाने वाला हो। प्रायोजित साहित्य लेखन कभी भी कालजयी नहीं हो सकता। भारत केन्द्रित विचार को अपने लेखन का आधार बनाएंगे तो वही आमजन का मानस बनेगा और उसी से देश का उज्ज्वल भविष्य निश्चित हो सकेगा। उन्होंने साहित्यकारों से व्रत कथाओं और लोकनाटकों के पुनर्लेखन का भी आह्वान किया। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के पूर्व निदेशक प्रो. एनके पाण्डे ने स्वातंत्र्य आंदोलन के दौरान लिखे साहित्य में वर्णित स्वाभिमान, स्वधर्म, स्वदेशी, स्वभाषा और सामाजिक समरसता के भाव को पुनः साहित्य का विषय बनाने पर जोर दिया। संगठन मंत्री डॉ. विपिनचन्द्र ने लोक साहित्यकारों को सूचीबद्ध करने तथा युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने की बात कही, साथ ही पद प्रतिष्ठा पुरस्कार की प्रवृत्ति को छोड़कर जगतहिताय साहित्य रचने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर राजस्थान सहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. इन्दुशेखर तत्पुरूष और साहित्यविद् एवं कॉलेज शिक्षा के पूर्व प्राचार्य डॉ. केबी भारतीय ने भी विचार व्यक्त किये।

प्रारंभ में भारतमाता और माँ सरस्वती की स्तुति करते हुए परिषद् गीत डॉ. ममता जोशी द्वारा समोच्चारित किया गया। अजमेर विभाग संयोजक कुलदीप सिंह रत्नू, अजमेर महानगर अध्यक्ष गंगाधर शर्मा हिन्दुस्तान, कोषाध्यक्ष नीरज पारीक, महासचिव प्रदीप गुप्ता सहित विष्णुदत्त शर्मा, देवदत्त शर्मा व देशवर्द्धन रांकावत ने अतिथियों का स्वागत किया।

नियोजन सत्र को संबांधित करते हुए संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अन्नाराम शर्मा ने कहा कि लोक भाषा और लोक संस्कृति जैसे अन्यान्य ज्ञान विज्ञान के स्वरूप ही रचनाकारों की ऊर्जा के स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के लोक साहित्य और प्रत्येक जिले से संबंधित अज्ञात अथवा अल्प ज्ञात स्वाधीनता नायकों पर साहित्य लिखा जाएगा और स्वाधीनता आंदोलन में घुमंतू जातियों, पत्रकारिता, लोकगीतों और भारतीय भाषा साहित्य के योगदान पर राज्य के तीनों प्रांतों में छः राष्ट्रीय संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत इकाई स्तर तक विविध गोष्ठियां प्रतियोगिताओं और साहित्य यात्राओं का आयोजन भी किया जाएगा।

बैठक के सभी सत्रों का सुचारू संचालन क्षेत्र महामंत्री डॉ. केशव शर्मा ने किया तथा क्षेत्र संयुक्त मंत्री उमेश कुमार चौरसिया ने आभार व्यक्त किया।

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