अखिल भारतीय साहित्य परिषद बारां का अभ्यास वर्ग सम्पन्न, सांस्कृतिक मूल्यों पर हुई चर्चा

अखिल भारतीय साहित्य परिषद बारां का अभ्यास वर्ग सम्पन्न, सांस्कृतिक मूल्यों पर हुई चर्चा

अखिल भारतीय साहित्य परिषद बारां का अभ्यास वर्ग सम्पन्न, सांस्कृतिक मूल्यों पर हुई चर्चा अखिल भारतीय साहित्य परिषद बारां का अभ्यास वर्ग सम्पन्न, सांस्कृतिक मूल्यों पर हुई चर्चा 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद बारां का एक दिवसीय कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग रविवार को श्रीराम स्टेडियम के सामने स्थित हिन्दी प्रचारिणी सभा भवन में आयोजित किया गया। पांच सत्रों में चले इस कार्यक्रम में चार सत्र परिषद के वैचारिक अधिष्ठान, परिषद के अनिवार्य उत्सव एवं सांगठनिक संरचना, हमारे आयाम एवं साहित्यकार के रूप में हमारी भूमिका पर आधारित रहे। वक्ताओं ने साहित्यकारों को ऐसा साहित्य लिखने के लिए प्रेरित किया, जिसके माध्यम से गांव-ढाणी तक लोगों को साहित्य परिषद से जोड़ने और परिषद के विस्तार का काम किया जा सके।

उद्घाटन सत्र में हमारा वैचारिक अधिष्ठान पर मुख्य अतिथि परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. विपिन चंद्र व मुख्य वक्ता चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष विष्णु शर्मा हरिहर ने कहा कि भारतीय साहित्य व संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की वाहक रही है। इसलिए आज भी इसकी महती आवश्यकता बनी हुई है। इस सत्र की अध्यक्षता हिन्दी प्रचारिणी सभा के सचिव एडवोकेट ओमप्रकाश खंडेलवाल ने की। उन्होंने हिन्दी भाषा और संस्कृति के उत्थान में ऐसे आयोजनों की प्रशंसा की। उद्घाटन सत्र का संचालन बारां इकाई उपाध्यक्ष बच्छराज राजस्थानी ने किया।

इसी प्रकार प्रथम तकनीकी सत्र के विषय हमारे आयाम पर मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय कवि डॉ. सुरेंद्र यादवेंद्र व मुख्य वक्ता परिषद के प्रदेश संरक्षक डॉ. कृष्णबिहारी भारतीय ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कन्हैयालाल शर्मा व संचालन लेखक एवं विचारक सत्येंद्र वर्मा ने की।

द्वितीय तकनीकी सत्र में विषय अपने उत्सव एवं सांगठनिक संरचना पर मुख्य अतिथि परिषद के प्रदेश महामंत्री डॉ. केशव शर्मा व मुख्य वक्ता परिषद के चित्तौड़ प्रांत उपाध्यक्ष राजेंद्र गौड़ ने कहा कि साहित्य ही हमारी संस्कृति एवं गौरवशाली परंपरा का परिचायक है। जो इसे पोषित करता रहता है। इसके माध्यम से हम सरलता से अपनी बात आम जन तक पहुंचा सकते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन व उससे पूर्व के काल में साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस सत्र की अध्यक्षता पूर्व जिला शिक्षाधिकारी प्रहलाद कुमार मीणा व संचालन परिषद के चित्तौड़ प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य ओमप्रकाश शास्त्री ने किया।

समारोप सत्र के विषय साहित्यकार के रूप में हमारी भूमिका में मुख्य अतिथि चित्तौड़ सह सचिव शिवशंकर सुमन व मुख्य वक्ता प्रदेश उपाध्यक्ष प्रद्युम्न ने वर्तमान में साहित्यकार की भूमिका पर प्रकाश डाला। इसकी अध्यक्षता अंता के वरिष्ठ साहित्यकार ओम सोनी मधुर व संचालक उद्घोषक एवं साहित्यकार सुनील शर्मा ने की। कार्यक्रम में बारां जिले सहित बारां विभाग के साहित्यकारों ने भाग लिया।

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