अटकी हैं साँसें


दौड़ती –हांफती जिन्दगी
ठहर कर सुस्ता रही है
कीमती हैं साँसें कितनी
सबको यह बता रही है।

अहतियात के सब उपायों ने
कर दिए हैं हाथ खड़े
उम्मीदों के कांप रहे हैं पांव
हौसलों की फूल रही हैं साँसें
एक-दूसरे को दिलासा दे रहे हैं
लेकिन दूरी भी है बहुत जरूरी।

मचा हुआ है हाहाकार
मची हुई है चीख-पुकार
मगर कुछ लोगों की लापरवाही
और हद से ज्यादा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार
सभी उपायों पर पड़ रहा है भारी।

एक कोरोना वायरस के चलते
सब घरों में बंद हैं
जिन्दगी बचेगी तो खुशियाँ बचेंगी
बचने और बचाने की इन तमाम
छोटी-बड़ी कोशिशों को
जब भरोसा और सहारा मिलेगा
तभी तो कोरोना हारेगा
जिसके लिए जरूरी है
हमारा संयम और विश्वास।

अनिल कुमार यादव

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