अनगिनत बलिदानों के बाद मिली हमें आजादी थी
वीरमाराम पटेल
सन सत्तावन के संग्राम से शुरू हुई कहानी थी।
अनगिनत बलिदानों के बाद मिली हमें यह आजादी थी।।
सौहार्द्र से घबरा फिरंगियों ने, चाल फूट की डाली थी,
बंगाल भंग किया, मन में हिंदू मुस्लिम खाई पनपाई थी।
लेकिन देशभक्त तो कहॉं रुके हैं, बोल वंदे मातरम्, छाती पर गोलियां खाई थीं।
अनगिनत बलिदानों से मिली हमें यह आजादी थी।
लोग त्रस्त थे षड्यंत्रों से, कृत्रिम अकालों, महामारियों से
अंग्रेजों की बेगारियों से, उल्टे सुल्टे कानूनों से
लोग मरें ज्यादा से ज्यादा, इसके लिए अनेक प्रपंच रचाए थे
चेचक, प्लेग के कीटाणुओं से सने कम्बल तक बंटवाए थे।
अनगिनत बलिदानों से मिली हमें यह आजादी थी।
फिर हुआ स्वतंत्रता संग्राम, सेना फिरंगी भागी थी,
त्याग, जोश, बलिदानों से रही जाग्रत रवानी थी।
खूब लड़े मंगल पांडे, तात्या वो झाँसी की मर्दानी थी।
अनगिनत बलिदानों से मिली हमें यह आजादी थी।
इंकलाब के खातिर भगतसिंह फांसी पर झूल गए,
वतन-हित कितने योद्धा अपने घरों को भूल गए।
झूला फाँसी पर खुदीराम उम्र उसकी सयानी थी।
अनगिनत बलिदानों से मिली हमें यह आजादी थी।
लाल, पाल, बाल का गजब ही धमाल था,
ब्रिटिश सेना थर्राई थी, सुभाष का कमाल था।
गांधीजी ने पहनी खादी, वीरपुत्रों ने कुर्बानी दी।
अनगिनत बलिदानों से मिली हमें यह आजादी थी।
आजादी के संघर्षों में हर जन की भागीदारी थी,
केवल गांधी कैसे लिखूं दूँ, खूब लड़ा सरदार था। भगतसिंह फांसी पर चढ़ गए, चंद्रशेखर ने गोली खाई थी,
फिर भी गांधी, जिद तुम्हारी
वीरों के अरमानों की यह आजादी आधी थी।
अनगिनत बलिदानों से मिली हमें यह आजादी थी।