अनुशासन की पाठशाला हैं संघ शिक्षा वर्ग

अनुशासन की पाठशाला हैं संघ शिक्षा वर्ग

अनुशासन की पाठशाला हैं संघ शिक्षा वर्गअनुशासन की पाठशाला हैं संघ शिक्षा वर्ग

गर्मी की छुट्टियां आते ही संघ शिक्षा वर्गों की चर्चा शुरू हो जाती है। इन्हें अनुशासन की पाठशाला भी कहा जाता है। संघ शिक्षा वर्गों का इतिहास भी लगभग संघ जितना ही पुराना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई और संघ शिक्षा वर्ग की शुरुआत 1927 में नागपुर में हुई उस दौरान ये तीन सप्ताह तक चले थे और इन्हें ग्रीष्मकालीन वर्ग कहा गया। फिर कुछ वर्षों बाद इनका नाम ‘अधिकारी शिक्षा वर्ग हो गयाबाद में वर्ष 1950 में इन वर्गों को संघ शिक्षा वर्ग के नाम से जाना जाने लगा।

कई वर्षों तक प्रारंभिक व्यवस्था में भोजन आसपास के घरों से आता था और स्थानीय पाठशालाओं में शिक्षार्थियों का निवास रहता था। जैसे नागपुर के लोकांचीशाला, धनवटे नगर विद्यालय (मिल सिटी स्कूल – तत्कालीन नाम) और न्यू इंग्लिश स्कूल के भवन ये सभी निशुल्क उपलब्ध होते थे। इसके अलावा वर्गों के दौरान चिकित्सा, बिजली, जल इत्यादि के खर्चों के लिए वर्ग में शामिल शिक्षार्थियों से शुल्क भी लिया जाता था।

इन वर्गों की सफलता के लिए डॉ. हेडगेवार को अन्ना सोहनी और मार्तंडराव जोग का सहयोग मिला शुरुआती वर्गों में शारीरिक कार्यक्रम समाप्त होने पर डॉ. हेडगेवार वर्ग में आये सभी स्वयंसेवकों को चिटणीसपुरा की एक बावड़ी पर तैरने के लिए ले जाया करते थेआगे चलकर संख्या बढ़ने पर बावड़ी पर जाना बंद हो गया

1939 के आसपास ये वर्ग हेडगेवार स्मृति मंदिर रेशमबाग, नागपुर में आयोजित होने लगे तब से अब तक ये संघ शिक्षा वर्ग यहीं लगते हैं। यह एकड़ भूमि डॉ. हेडगेवार ने ₹700 में खरीदी थी।

कार्यक्रम की संरचना  

प्रातः पांच से रात नौ बजे तक वर्ग के शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रम चलते थे शुरुआत में सुबह के दो-ढाई घंटे और शाम का डेढ़ घंटा शारीरिक प्रशिक्षण के लिए दिया गया थादोपहर साढ़े बारह बजे से पांच बजे तक का समय विश्राम, वार्तालाप, चर्चा और स्वयंसेवकों द्वारा टिप्पणियां लिखकर रखने के लिए रखा गया था

नागपुर के बाद विस्तार

नागपुर में वर्गों की सफलता के बाद ये 1934 में पुणे में आयोजित होने लगे फिर अगले वर्ष से पुणे में प्रथम और द्वितीय वर्ष के वर्ग शुरू हो गये। ग्रीष्मकालीन छुट्टियों की सुविधा के अनुसार पुणे का वर्ग 22 अप्रैल से 2 जून तक और नागपुर का वर्ग 1 मई से 10 जून तक हुआ करता थाडॉ. हेडगेवार 15 मई तक पुणे में और उसके बाद नागपुर में प्रवास करते थे

पुणे के बाद ये वर्ग नासिक में शुरू हुएसाल 1942-43 में इन वर्गों में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों की संख्या पौने तीन हजार तक पहुंच गयी थी। इस बीच 1938 में महाराष्ट्र से बाहर लाहौर में भी वर्गों की शुरुआत हुई इसके बाद जैसे-जैसे कार्य बढ़ता गया, अन्य प्रान्तों में प्रथम और द्वितीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग आयोजित होने लगे अब केवल तृतीय वर्ष की शिक्षा के लिए स्वयंसेवकों का नागपुर में आना अनिवार्य किया गया

देशव्यापी विस्तार

1940 के नागपुर में हुए संघ शिक्षा वर्ग में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक के सब प्रान्तों से शिक्षार्थी स्वयंसेवक उपस्थित थे। दुर्भाग्यवश इसी वर्ष के शिक्षा वर्ग की समाप्ति के केवल कुछ दिनों के बाद ही यानी 21 जून 1940 को संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का देहावसान हो गया

मई-जून में ही क्यों?

विद्यालयों और महाविद्यालयों का इन महीनों में ग्रीष्मावकाश रहता है परीक्षाएं भी समाप्त होने के चलते विद्यार्थी मुक्त रहते हैंइसलिए इन महीनों में युवाओं को संघ की कार्यविधि से परिचित करवाने के लिए संघ शिक्षा वर्ग शुरू हुए थे। तभी से यह व्यवस्था आज तक चल रही है।  

इस निरंतर प्रवाह में रुकावटें

ये वर्ग 1948-1949 में संघ पर प्रतिबंध, 1976-1977 में आपातकाल के दौरान प्रतिबंध, 1993 में प्रतिबंध और 1991 में विशेष राष्ट्रीय परिस्थितियों (पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या और लोकसभा चुनाव) के दौरान अवरुद्ध हुए थे बीते वर्षों में कोरोना महामारी के दौरान 2020-2021 में भी इन शिक्षा वर्गों को स्थगित करना पड़ा था

साल दर साल शिक्षार्थी

साल

संघ शिक्षा वर्गों में सम्मिलित स्वयंसेवक

2012

प्रथम वर्ष 10,623 शिक्षार्थी 7078 स्थानों से

द्वितीय वर्ष 2581 शिक्षार्थी 2116 स्थानों से

तृतीय वर्ष नागपुर में923 शिक्षार्थी 859 स्थानों से

2013

प्रथम वर्ष 12549 शिक्षार्थी 7408 स्थानों से

द्वितीय वर्ष 3063 शिक्षार्थी 2320 स्थानों से

तृतीय वर्ष नागपुर में1003 शिक्षार्थी 923 स्थानों से

2015

प्रथम वर्ष 17835 शिक्षार्थी 10540 स्थानों से

द्वितीय वर्ष 3715 शिक्षार्थी 2812 स्थानों से

तृतीय वर्ष नागपुर में 875 शिक्षार्थी 804 स्थानों से

2017

प्रथम वर्ष – 15716 शिक्षार्थी 9734 स्थानों से

द्वितीय वर्ष – 3796 शिक्षार्थी 2959 स्थानों से

तृतीय वर्ष नागपुर में – 899 शिक्षार्थी 834 स्थानों से

2019

तृतीय वर्ष नागपुर में828 शिक्षार्थी

2022

40 वर्ष से कम आयु के 18,981 और 40 वर्ष से अधिक आयु के 2925 शिक्षार्थियों ने वर्गों में सहभागिता की, इस वर्ष पूरे देश के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के 101 वर्गों में कुल 21,906 शिक्षार्थी रहे

विगत वर्षों में मुख्य अतिथि (तृतीय वर्ष समापन समारोह, नागपुर)

पहले नागपुर का वर्ग 40 दिनों का होता था, जो कि तृतीय वर्ष के रूप में अब 25 दिनों का होता है। स्वाधीनता से पहले के कुछ वर्षों तक ये कुछ समय के लिए 30 दिनों के भी रहे। फिलहाल प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष देशभर में होते हैं, जबकि अंतिम तृतीय वर्ष रेशिमबाग, नागपुर में आयोजित होता है।

संघ शिक्षा वर्ग के दो प्रकार हैं (1) 18 से 40 वर्ष आयु के सामान्य वर्ग और 41 से 65 वर्ष की आयु के विशेष वर्ग। 65 वर्ष से ऊपर प्रवेश नहीं होता

वर्तमान में 25 दिनों के दौरान संघ शिक्षा वर्ग के प्रतिभागियों द्वारा संघ के पूर्ण गणवेश में पथ संचलन भी निकाला जाता है। वर्ग के समारोप का कार्यक्रम नागपुर शहर द्वारा आयोजित होता है साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक का उद्बोधन होता है जो कि तात्कालिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषयों पर संघ के दृष्टिकोण का सारगर्भित विवरण होता है इनका सामाजिक मुद्दों जिनसे भारत और उसके नागरिकों का सीधा सरोकार होता हैउस पर सरसंघचालक द्वारा संघ की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती हैइसमें संघ के स्वयंसेवकों को भी व्यापक दृष्टि प्राप्त होती है

इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर किसी विशिष्ट व्यक्ति को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है बीते एक दशक में आये मुख्य अतिथियों की सूची इस प्रकार है –

वर्ष

अतिथि

2012

दैनिक पंजाब केसरी के संचालक व संपादक अश्विनी कुमार

2013

आदिचुनचुनगिरी मठ, कर्नाटक के प्रधान पुजारी श्री श्री श्री निर्मलानंदनाथ महास्वामी

2014

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर

2015

धर्मस्थल कर्नाटक के धर्माधिकारी पद्मविभूषण डॉ. विरेन्द्र हेगडे

2016

साप्ताहिक ‘वर्तमान’ (कोलकाता) के संपादक रंतिदेव सेनगुप्त

2017

नेपाल के पूर्व आर्मी प्रमुख जनरल रुकमंगुड कटवाल

2018

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

2022

श्रीरामचंद्र मिशन, हैदराबाद के अध्यक्ष दाजी उपाख्य कमलेश पटेल

दिसंबर 2022*

श्री काशी महापीठ, वाराणसी के १००८ जगद्गुरु डॉ. मल्लिकार्जुन विश्वाराध्य शिवाचार्य महास्वामी

2023

श्री सिद्धगिरी संस्थान मठ, कणेरी, कोल्हापुर के अदृश्य काडसिद्धेश्वर स्वामी

* वर्ष 2022 में मई और दिसंबर महीनों में दो बार तृतीय वर्ष वर्ग का आयोजन किया गया था।

क्या विशेष होता है इन वर्गों में :

1. सामाजिक समरसता का भाव इस दौरान देशभर से बिना किसी जातीय और रंगरूप भेदभाव के शिक्षार्थी एकत्रित होते हैं
2. सामूहिक भोजन वर्गों में स्वयंसेवक एक साथ भोजन करते हैं। इसमें भी किसी तरह से भेदभाव नहीं होता।
3. सामूहिक जीवन का भाव जागृत – एक साथ मिलकर रहना और वर्गों की सभी गतिविधियों में एक साथ सहभागिता करना।
4. अखिल भारतीय दृष्टि का व्यापक बोध होता है
5. अनुशासन के प्रति जागरूकता पैदा होती है।
6. विविध विषयों का ज्ञान संघ की भौगोलिक रचनाओं और संरचनाओं का प्रत्यक्ष अनुभव होता है।
7. समाज और राष्ट्र के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों के समाधान का बोध होता है।
8. स्वयंसेवकों में कार्यकुशलता का निर्माण होता है।
9. संगठन का भाव – सबके प्रति अपनेपन की भावना पैदा होती है।
10. स्वावलंबन – वर्गों के दौरान सभी स्वयंसेवक अपने कार्य स्वयं करते हैं, जिससे उनमें अपने कार्यों को स्वयं करने का भाव पैदा होता है।
अनुशासन की पाठशाला हैं संघ शिक्षा वर्ग
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