अपने और अपने धर्म पर गर्व करें – डॉ. मोहन भागवत

अपने और अपने धर्म पर गर्व करें - डॉ. मोहन भागवत

अपने और अपने धर्म पर गर्व करें - डॉ. मोहन भागवत

आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने शादी के लिए हो रहे धर्म परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन कैसे होता है? हिंदू लड़के और लड़कियां दूसरे धर्म में कैसे बदल रहे हैं? छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए ऐसा हो रहा है। ऐसा करने वाले लड़के-लड़कियां गलत कर रहे हैं।

अपने और अपने धर्म पर गर्व करने की आवश्यकता

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम अपने बच्चों को तैयार नहीं करते हैं। हमें उन्हें अपने और अपने धर्म पर गर्व करना सिखाने की आवश्यकता है।

संघ प्रमुख भागवत ने कुटुंब के लिए दिए छह मंत्र 

मोहन भागवत ने रविवार को परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में कुटुंब के लिए छह मंत्र दिए। उन्होंने भाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, भूषा और भवन के जरिये अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जैसे यहां पर परिवार प्रबोधन हो रहा है, उसी तरह सप्ताह में सभी परिवार कुटुंब प्रबोधन करें। इसमें एक दिन परिवार के सभी लोग एक साथ भोजन ग्रहण करें, इसमें अपनी परंपराओं, रीति रिवाजों की जानकारी दें। फिर आपस में चर्चा करें और एक मत बनाएं और उस पर कार्य करें।

घर में अपनी भाषा बोलनी चाहिए

हल्द्वानी के आम्रपाली संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि घर में अपनी भाषा बोलनी चाहिए। हालांकि, कोई अन्य भाषा भी सीखने का चलन बढ़ना चाहिए। कोई पर्व, त्योहार है तो अपनी पारंपरिक वेषभूषा धारण करें।

लगभग आठ सौ प्रकार के भोजन

मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश में करीब आठ सौ प्रकार के भोजन हैं, इनका सेवन करें। उत्तराखंड के कई प्रकार के भोजन हैं, उनका सेवन करना चाहिए। कभी-कभार बाहर का भोजन तो ठीक है, लेकिन सामान्य तौर पर अपनी आबोहवा के अनुकूल भोजन ग्रहण करें।

महात्मा गांधी, भगत सिंह, डॉ. आंबेडकर, वीर सावरकर आदि के चित्र लगाएं

मोहन भागवत ने भ्रमण पर कहा कि पूरी दुनिया देखनी चाहिए, लेकिन काशी, चित्तौड़गढ़ से लेकर हल्दीघाटी, जलियांवाला बाग भी देखना चाहिए। अपने घर के अंदर महात्मा गांधी, भगत सिंह, डॉ. आंबेडकर, वीर सावरकर आदि के चित्र लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि रामायण में कुटुंब की कहानी है, इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

कुटुंब बनेगा तो उससे समाज बनेगा। इससे सोया हुआ राष्ट्र जागेगा और भारत विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहने वालों के ऊपर पूरे समाज की जिम्मेदारी होती है। अपने परिवार के साथ आसपास के लोगों की भी चिंता करें।

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