अभिव्यक्ति की आजादी (व्यंग्य)

अभिव्यक्ति की आजादी

शुभम वैष्णव

अभिव्यक्ति की आजादी

जब एक व्यक्ति ने अभिव्यक्ति से पूछा कि आप इतनी परेशान क्यों दिखाई दे रही हैं तो अभिव्यक्ति ने अपनी आजादी का हवाला देकर तीखी आवाज में कहा- देखिए ना लोग किस तरह से मेरे नाम पर दोगलापन दिखाते हैं। एक तरफ तो मेरा नाम लेकर अपने ही देश को गाली देते हैं तो दूसरी तरफ किसी पुस्तक तक के छपने का विरोध करते हैं। कुछ लोगों को देश को गाली देने में डर नहीं लगता लेकिन एक पुस्तक के छपने से डर जरूर लगता है। एक तरफ तो कोई अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदू देवी देवताओं को अपशब्द कहता है दूसरी ओर कोई माता सीता और राम पर अपमानजनक टिप्पणी करते हुए वीडियो वायरल करता है तो कोई देश में आईएसआई और पाकिस्तान के झंडे फहराता है और फिर भी मेरे नाम को बदनाम किया जाता है।

मुझे आज भी वह दिन याद है जब कुछ मतांध लोगों ने एक लिटरेचर फेस्टिवल में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के आने का विरोध किया था और मेरी धज्जियां उड़ाई थीं। मेरी हालत तो उस सिक्के जैसी हो गई है जिसे उछाल कर कुछ लोग चित और पट दोनों ही अपने पास रखना चाहते हैं। ये लोग अपनी बात को तो अभिव्यक्ति की आजादी कहकर व्यक्त करते हैं परंतु दूसरे को बोलने ही नहीं देना चाहते। यही उनके दोगलेपन की निशानी है।

इनको लगता है यदि ये सच को झूठ बनाकर भी कहें तो अभिव्यक्ति की आजादी और दूसरा कोई सच को सच भी कह दे तो सवाल और सवाल के साथ मच जाता है बवाल। अब तो समझ आ गया होगा आपको मेरा हाल।

वैसे तो भारत समेत पूरा विश्व समुदाय इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित है। लेकिन कुछ मानसिक दिवालियापन लिए लोगों ने तो अभिव्यक्ति की आजादी का नाम लेकर हिंदू आतंकवाद शब्द की ही रचना कर दी। इन रचनाकारों ने झूठ को सच बनाकर परोसने की कोशिश की लेकिन असफल रहे क्योंकि उनका झूठ ज्यादा दिन तक ठहर नहीं पाया।

लोगों को एक बात याद रखनी चाहिए कि सरकार के कामकाज और सरकार की नीतियों की आलोचना करना अभिव्यक्ति की आजादी है, परंतु अपने देश को गाली देना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं बल्कि देशद्रोह है। आतंकवादियों और आतंकवाद का समर्थन करना भी इसी श्रेणी में आता है।

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