अवैध शराब की बलि चढ़ रहे जंगल के हरे पेड़

डॉ. शुचि चौहान

राजस्थान में शराब तस्करी के मामले तो अक्सर सामने आते रहते हैं। लेकिन गॉंवों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से शराब बनाए जाने के भी मामलों का खुलासा हुआ है। शराब सामाजिक सौहार्द तो बिगाड़ती ही है, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रही है। शराब भट्टियों में जलाने के लिए आस पास के जंगलों में पेड़ों का अवैध कटान लगातार जारी है। गॉंवों के कुछ जागरूक लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन समाज कंटकों की दबंगई और प्रशासन की निष्क्रियता के सामने वे बेबस हैं।

मामला जयपुर जिले की जमवारामगढ़ तहसील का है। तहसील का अधिकांश भाग संरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र में आता है। अभ्यारण्य के आस पास के कई गॉंवों के लोग पेड़ों की अवैध कटान में शामिल हैं। पाली, भट्ठा वाला कोलयाना, बिसौरी और निम्बी आदि गांवों के पास के जंगल में कटे पेड़ों के ठूंठ आसानी से देखे जा सकते हैं। सर्वाधिक पेड़ पाली और निम्बी की तरफ काटे गए हैं क्योंकि निम्बी के जंगल में ही शराब बनाने की भटि्टयां हैं।

पाली गॉंव के विक्रम गुर्जर बताते हैं कि पिछले दिनों यहॉं शराब बनाने वालों पर छापामारी हुई थी, जिसमें 15 हजार लीटर वॉश व 150 लीटर शराब पकड़ी गई थी। लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। बस शराब के डमरों को नष्ट कर दिया गया। विक्रम का कहना है – लोग यहॉं पर शराब बनाकर आसपास के गांवों में स्थित अपने ठिकानों पर पहुंचाते हैं फिर वहां से यह शराब पीने वालों को उपलब्ध कराई जाती है। लॉकडाउन के समय शराब के ठेके बंद होने पर हथकढ़ शराब की मांग में बेहद तेजी आई। उस दौरान यहॉं खूब शराब बनी, भट्टियों की संख्या भी बढ़ गई। इसी कारण निम्बी के पास के जंगल में पेड़ भी अधिक कटे। पेड़ काटने के लिए वैसी ही आरियों का प्रयोग किया गया जो वन विभाग के पास होती हैं। वह बताते हैं यह काम रात में होता है। यहॉं आज भी शराब बन रही है। प्रशासन को सूचना देने पर भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं होती। न तो पेड़ कटने रुकते हैं और न ही शराब बननी। यह शराब सस्ती होने के कारण गांवों के मजदूर वर्ग में भी बड़ी मात्रा में खपती है।

विक्रम गुर्जर स्वयं कई बार मुख्यमंत्री संवाद पोर्टल पर इसकी शिकायत कर चुके हैं। वह कहते हैं – हरे भरे जंगल को सपाट मैदान में बदलते देखकर दुख होता है। लेकिन शराब बनाने वालों की दबंगई और प्रशासन की निष्क्रियता के आगे हम बेबस हैं। जंगल में बड़ी संख्या में शीशम व धोक के पेड़ काट दिए गए हैं। शराब के साथ ही जंगली जानवरों व पक्षियों का शिकार भी आम है।

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