अहिल्या बाई होल्कर

भानुजा श्रुति

जन्मी एक कृषक के घर
वो, मंको जी अहमदनगर
करते शिवभक्ति वो दिन भर
संस्कार पड़े ये अहिल्या पर

शासक इन्दौर मल्हार राव होल्कर
ठिठक गए शंकर के दर
सुन सुन्दर मीठा बाला स्वर
प्रस्ताव रखा मंको जी घर

नन्हीं पुत्री भाग्य विशाल
रानी द्वार खड़े प्रति पाल
पुत्र वधू बनकर वो आई
खुशियां लाई राजमहल

समय गया और पति सिधारे
भक्ति और तपस्या प्यारे
लक्ष्य नहीं था राज्य भोगना
जीवन ही था धर्म रोपना

विकसित किया होल्कर राज्य
अहिल्या का सुंदर साम्राज्य।

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