आंवला नवमी पर आंवला पूजन का विशेष महत्व

 

पाथेय डेस्क

आंवला नवमी का त्योहार इस साल 5 नवंबर 2019, मंगलवार को मनाया जाएगा। आंवला नवमी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है, इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता हैं कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा होती है। इस दिन भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ के अतिरिक्त भगवान विष्णु की भी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए पूजा करती हैं।

आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी प्रथा है। अक्षय नवमी को धात्री नवमी और कूष्माण्ड नवमी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आंवला नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसमें पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि ली जाती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है। इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेट कर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े-बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आंवला पेड़ की पूजा करके 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज भी कराते हैं। आंवला नवमी पूजन कि विधि- आंवला नवमी पर प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें, उसके बाद आंवला के वृक्ष के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर ‘ॐ धात्र्ये नम:’ मंत्र से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों का तर्पण करें।

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