आत्मनिर्भर भारत व स्वदेशी गोमय राखी

आत्मनिर्भर भारत व स्वदेशी गोमय राखी

आत्मनिर्भर भारत व स्वदेशी गोमय राखी

आत्मनिर्भर भारत अर्थात् ‘लोकल फॉर वोकल’ की पहल के तहत पूरा भारत साथ आ गया है। वे लोग भी अब स्वदेशी वस्तुओं का रुख कर रहे हैं, जो कभी बड़ी बड़ी एमएनसी के उत्पाद खरीद कर प्रयोग में लाते थे। इसी कड़ी में देश भर के कई उत्पादकों ने स्वदेशी तकनीकों से अनेक प्रकार की सामग्रियों का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है। वे लोग ना केवल आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि साथ में हमारी संस्कृति से जुड़े विषयों को भी उठा रहे हैं।

ऐसा ही कुछ काम किया है गुजरात के कच्छ के अक्षय कृषि परिवार के मनोज सोलंकी ने। राखी के अवसर पर उन्होंने अपनी गौशाला में गाय के गोबर से बनी राखियों के उत्पादन की शुरुआत की है। इस राखी में गोबर को प्रॉसेस करके उपयोग में लाया जाता है और फिर राखी की सजावट कर दी जाती है। अच्छी सजावट एवं पैकिंग के कारण से यह गोमय निर्मित राखियां भी फैंसी राखियों की तरह लगती हैं। अभी इन राखियों का उत्पादन शुरुआती दौर में है, जल्द ही ये बाज़ार में उपलब्ध होंगी।

गोमय राखी

भारत की इकोनॉमी इसकी संस्कृति में छिपी है। इनको बढ़ावा देने से सही मायने में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। गाय से मिलने वाले सभी उत्पादों में कुछ ना कुछ गुणवत्ता अवश्य होती है, जिसे हमें पहचानना है। देश में और भी ऐसी कई गोशालाएं हैं जो इन कार्यों में जुटी हैं, और जल्द ही ऐसी कई चीजें मार्केट में उपलब्ध होगी।

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