कोटड़ा : एक गांव जहां गाड़ी चाहिए तो गाय भी चाहिए

कोटड़ा : एक गांव जहां गाड़ी चाहिए तो गाय भी चाहिए

कोटड़ा : एक गांव जहां गाड़ी चाहिए तो गाय भी चाहिएकोटड़ा : एक गांव जहां गाड़ी चाहिए तो गाय भी चाहिए

सागवाड़ा। आदर्श ग्राम कोटड़ा, आनंदपुरी सरदार पटेल ग्राम विकास समिति के तत्वाधान में शुक्रवार को ग्राम सभा का आयोजन किया गया, जिसमें ग्राम में चलने वाले कार्यों के बारे में बताया गया। ग्राम की आदर्श स्थिति को देखकर संघ की योजना से ग्राम को प्रभात ग्राम बनाने की घोषणा की गई।ग्रामवासी ईश्वर ने बताया कि गांव के आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए यहॉं दो महिला समितियां व एक पुरुष समिति चल रही है। समितियों के प्रयत्नों से जरूरतमंदों का सहयोग किया जा रहा है। ग्राम में प्रत्येक घर में देशी गाय का पालन व पर्यावरण की दृष्टि से हर घर तुलसी का वितरण हो, ऐसा निर्णय किया गया है।

मुख्यवक्ता डॉ. दिनेश ने कहा कि धरती माता, गो माता व मां जीवन की पहली पाठशाला हैं। देशी गाय से ही भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। गांव की धार्मिक शक्ति के कारण ही भारत एक आध्यात्मिक देश है। भारत की और देखते हैं तो गांवों का ध्यान भी करना है। हमारे गांव में पैसा बाहर से आ रहा है या जा रहा है, रासायनिक खेती व पेड़ों की कटाई के चलते प्रकृति को नुकसान तो नहीं पहुंच रहा, इस पर भी चिंतन करना पड़ेगा। हमें गाड़ी चाहिए तो गाय भी चाहिए। ब्रिटिशकाल से पहले प्रत्येक गांव समर्थ था। कृषि के साथ कुटीर उद्योग चलते थे। हर हाथ के पास काम था। हम जो बातें भूल गए हैं, उन्हें वापस अपनाना होगा।

प्रांत प्रचारक विजयानंद ने गाय की महिमा की जानकारी देते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था कि एक गाय अपने जीवन में चार लाख से अधिक लोगों का भरण पोषण करती है।

समिति के संरक्षक गेंदालाल ने बताया कि समिति दो वर्ष पूर्व बनी है। समाज में सभी के सहयोग से ग्राम को सुंदर बनाने के लिए ग्राम के मुख्य द्वार पर एक बड़ा प्रवेश द्वार बनाने की योजना बनाई गई है। गांव में सभी जातियों के सामूहिक भोज व सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

समिति के सदस्य गोपाल ने बताया कि नदी किनारे बसे इस ग्राम की शोभा प्राकृतिक है। 13 जातियों के 1347 जनसंख्या वाले गांव में 98 कर्मचारी, 80 व्यवसायी हैं। खेती व पशुपालन सभी घरों में है। लिंगानुपात भी बराबर है। वन संपदा भी यहाँ पर ठीक है। वन्य जीवों की संख्या भी बढ़ी है।मन्दिरों में सभी जातियों का प्रवेश है।

ग्राम सभा में महिलाओं ने भजन तो नन्हें बालक, बालिकाओं ने कविताएं प्रस्तुत कीं।

कोटड़ा : एक गांव जहां गाड़ी चाहिए तो गाय भी चाहिए

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