प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों की उपेक्षा को लेकर एबीवीपी ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों की उपेक्षा को लेकर एबीवीपी ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों की उपेक्षा को लेकर एबीवीपी ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

जोधपुर, 09 सितम्बर। एबीवीपी ने विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को जिला प्रशासन को एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम दिया है। विद्यार्थियों ने कई मांगों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा है। छात्रों का कहना है कि प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों की लगातार उपेक्षा व अनदेखी से छात्र हितों की हानि हो रही है। सामाजिक क्षेत्र में निरन्तर बढ़ते अपराध युवाओं को भ्रमित करने के साथ प्रदेश की छवि धूमिल कर रहे हैं। छात्रों ने मांग की कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के विद्यार्थियों की वार्षिक, सेमेस्टर एवं परीक्षा शुल्कों की समय – समय पर पुर्नसंरचना की जाए एवं अभोग्य शुल्क मदों के अतिरिक्त भार को हटाया जाए। ग्रामीण व कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को शुल्क में विशेष छूट दी जाए। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र समय से पूर्व आउट हो रहे हैं एवं साक्षात्कारों में भाई – भतीजावाद जारी है। जैसा कि हाल ही में 2018 की भर्ती के साक्षात्कार में वर्तमान सरकार के मंत्री के रिश्तेदारों को पद का दुरुपयोग करते हुए साक्षात्कार में अधिकतम अंक देकर लाभ पहुंचाया गया। जिससे युवाओं में हताशा एवं निराशाजनक विचार पनप रहे हैं । अत: त्वरित कार्यवाही करते हुए दोषियों को सजा देते हुए साक्षात्कार में पारदर्शिता तय की जाए।

विद्याार्थियों का कहना है कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के वार्षिक एवं सेमेस्टरों की रूपरेखा एवं कार्यक्रमों के लिए वार्षिक कैलेण्डर सत्र से पूर्व जारी किया जाए एवं उसकी अक्षरश: पालना सुनिश्चित की जाए, साथ ही परीक्षाओं एवं परिणाम को तार्किक बनाया जाना चाहिए। प्रश्न पत्रों के ब्लू प्रिंट में काठिन्य स्तर 20 प्रतिशत से अधिक न हो, वहीं पाठ्यक्रमों का नवीनीकरण समयानुसार राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा करवाया जाए। इसके अलावा शैक्षिक परिसरों में परिचय पत्रों के साथ प्रवेश सुनिश्चित कर बाहरी असामाजिक तत्वों के हस्तक्षेप को रोका जाए व परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाए।

महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे है इसके लिए सरकार को अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस नीति का अवलंबन करना चाहिए।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *