उदयपुर का ‘प्रताप गौरव केंद्र’
उदयपुर का ‘प्रताप गौरव केंद्र’
उदयपुर झीलों की नगरी है। पर्यटन की नगरी है। शान-शौकत, ऐशो-आराम की नगरी है। फाइव स्टार, सेवन स्टार होटलों का यह शहर है। डेस्टिनेशन वेडिंग का स्थान है। बॉलीवुड के कलाकारों के विवाह की पसंदीदा जगह है..!
लेकिन उदयपुर इससे बढ़कर है। बहुत कुछ है!
यह बलिदानों का शहर है। स्वाभिमान का शहर है। संघर्ष करने वालों का शहर है। त्याग और तपस्या की नगरी है। पन्ना धाय और हाड़ा रानी की नगरी है। इसके मिट्टी के कण – कण से महाराणा प्रताप के पराक्रमों की गाथा सुनाई देती है। चेतक के टापों की बुलंद आवाजें, आज भी रात के सन्नाटे में कानों के इर्दगिर्द घूमती रहती हैं। इस शहर ने पराक्रम की इस विरासत को संभालने का एक सुंदर प्रयास किया है। इस प्रयास का नाम है- प्रताप गौरव केंद्र। उदयपुर शहर से बस चार – छह किलोमीटर दूरी पर, अरावली के पहाड़ों की पृष्ठभूमि में यह विशाल गौरव स्थल, राजपूताना के पराक्रम को जीवंत कर, सामने दिखाता है।
इस केंद्र में, सड़क के एक ओर, पहाड़ी पर महाराणा प्रताप की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है। सड़क के दूसरी ओर, राजस्थान का गौरवशाली इतिहास, आधुनिक तकनीक से हम तक पहुंचता है। इस में हल्दी घाटी के युद्ध को मूर्तियों के माध्यम से समझाया गया है। जिसे हमारे ‘इतिहासकार’ ‘महान’ कहते थे, ऐसे अकबर को मेवाड़ की इस मिट्टी ने कितनी बार धूल चटाई, इसे ऐतिहासिक तथ्यों के साथ दिखाया है। अपने पति राणा रतनसिंह चूड़ावत को मोह से बाहर निकालने के लिए अपना सिर काट कर देने वाली हाड़ा रानी का जीवंत चित्रण है। पन्ना धाय का श्रेष्ठतम त्याग दिखाया है। इस केंद्र मे प्रतिमाएं हैं, मूर्तियां हैं, लाइट-एंड-साउंड है, रोबोटिक्स है… यह सभी अर्थों में अद्भुत है!
इसलिये, अगली बार जब भी आप उदयपुर जायेंगे, वहां की झीलों का आनंद लेंगे, राजस्थानी अतिथि सत्कार अनुभव करेंगे तब इस ‘प्रताप गौरव केंद्र’ में मेवाड़ की मिट्टी की सुगंध अवश्य लीजिएगा। अपने परिवार को, बच्चों को राणा प्रताप का साहस, शौर्य और स्वाभिमान, आधुनिक तकनीकी से अवश्य दिखाइएगा, अन्यथा आप एक सुखद और रोमांचकारी अनुभव से चूक जाएंगे।
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