उदयपुर : हुंकार डीलिस्टिंग महारैली के लिए गांधी ग्राउंड में भूमि पूजन
- 18 जून को जनजाति समाज उदयपुर में भरेगा डीलिस्टिंग की हुंकार
उदयपुर, 16 जून। जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के आह्वान पर 18 जून को उदयपुर में आहूत हुंकार डीलिस्टिंग महारैली की तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी हैं। इसके अंतर्गत गुरुवार प्रातः शुभवेला में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गांधी ग्राउंड सभा स्थल पर भूमि पूजन किया गया। इसके साथ ही गांधी ग्राउंड में होने वाली सभा के लिए मंच, ध्वनि, प्रकाश आदि व्यवस्थाएं किया जाना शुरू कर दिया गया।
जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के प्रदेश संयोजक लालूराम कटारा ने बताया कि भूमि पूजन अनुष्ठान में हुंकार डीलिस्टिंग महारैली के संयोजक नारायण गमेती परिवार सहित बैठे और परम्परानुसार हवन किया। इस अवसर पर जनजाति सुरक्षा मंच के मार्गदर्शक व समाज सेवी भगवान सहाय, जनजाति समाज से भैरूलाल मीणा, हर रत्न डामोर, सुगना गरासिया, भावना मीणा, समाजसेवी हेमेंद्र श्रीमाली, जगदीश कुलमी, राधिका लढ़ा, संदीप पानेरी, वीरेंद्र पंचोली, विनोद यादव, भारत भूषण, गणपत लोहार, कपिल चित्तौड़ा, सतीश श्रीमाली, रमेश मूंदड़ा, गोपाल कुमावत आदि उपस्थित थे।
डीलिस्टिंग महारैली के अंतर्गत 18 जून को शहर में पांच स्थानों से रैलियां शुरू होंगी। ये रैलियां नगर निगम, फील्ड क्लब, राजस्थान कृषि महाविद्यालय परिसर, एमबी खेल मैदान व महाकाल मंदिर से शुरू होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए गांधी ग्राउंड पहुंचेंगी। गांधी ग्राउण्ड में जनजाति बंधु अपनी-अपनी पारम्परिक प्रस्तुतियां भी देंगे। इसके बाद विशाल सभा होगी।
शहर में आ रहे पूरे राजस्थान के जनजाति बंधुओं के भोजन की व्यवस्था भी उदयपुर शहर करेगा। इसके लिए घर-घर से भोजन पैकेट तैयार होंगे। भोजन पैकेट बनाने के आग्रह के साथ घर-घर थैली वितरण का क्रम शुरू हो चुका है। अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न संगठनों के युवाओं की टोलियां बनाई गई हैं, जो यह जिम्मा निभा रही हैं। इन्हीं टोलियों के जिम्मे 18 जून को भोजन पैकेट एकत्र करने और निर्धारित स्थल तक पहुंचाने का भी दायित्व रहेगा।
उल्लेखनीय है कि डी-लिस्टिंग महारैली जनजाति समाज के अधिकारों और उनकी संस्कृति को बचाने के लिए आहूत की जा रही है। इस महारैली के माध्यम से यह मांग उठाई जाएगी कि जनजाति समाज के जिस व्यक्ति ने अपनी पूजा पद्धति व धार्मिक आस्थाएं बदल ली हैं, उसका एसटी का स्टेटस हटाया जाए और एसटी के नाते संविधान प्रदत्त सुविधाएं नहीं दी जाएं। अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के समान ही अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए भी यह प्रावधान संविधान में जोड़ा जाना चाहिए।