उपाध्याय की पुण्यतिथि पर संविधान और ग्राम स्वराज पर व्याख्यान आयोजित

उपाध्याय की पुण्यतिथि पर संविधान और ग्राम स्वराज पर व्याख्यान आयोजित

उपाध्याय की पुण्यतिथि पर संविधान और ग्राम स्वराज पर व्याख्यान आयोजितउपाध्याय की पुण्यतिथि पर संविधान और ग्राम स्वराज पर व्याख्यान आयोजित

सीकर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता दुर्गाप्रसाद उपाध्याय की 13वीं पुण्यतिथि पर रविवार को राणी सती रोड स्थित प्रधानजी के जाव में संविधान और ग्राम स्वराज विषय पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ। व्याख्यानमाला में मुख्यवक्ता एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि संविधान तत्व है जहां संविधान तत्व नहीं होता वहां अराजकता होती है। भारतीय संविधान परिष्कृत को स्वीकार करने वाला है। जनमत से इसमें आवश्यक संशोधन किया जा सकता है। संविधान निर्माण के लिए खण्डित संविधान सभा बैठी, इसमें अखण्ड संविधान सभा की उपस्थिति नहीं हो सकी। संविधान के मसौदे पर संविधान के सदस्यों ने कहा कि यह संविधान ग्राम स्वराज्य का पोषक नहीं है। संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान के मसौदे का विरोध करते हुए इसमें ग्राम स्वराज्य को जोड़ने की मांग की क्योंकि देश की स्वाधीनता में देश के सात लाख गांवों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। संविधान सभा की बैठक में विचार विमर्श के बाद यह तय हुआ कि राज्य सरकारें ग्राम सभाओं का गठन करें, ताकि ग्राम स्वराज्य की स्थापना हो सके। संविधान में ग्राम स्वराज्य का‌ जो विधान है, उसकी क्रियान्वित नहीं हो रही है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुमेधानंद सरस्वती ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रेम सिंह बाजोर व किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रणवा थे। कार्यक्रम का संचालन जानकी प्रसाद इंदौरिया ने किया।

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