उर्वरक में मिलावट की पहचान करके फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है
डॉ. शुचि चौहान
आज देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों, दवाइयों व उर्वरकों का भी एक बहुत बड़ा बाजार है। असली व शुद्ध प्रोडक्ट के नाम पर हमारे साथ जो धोखाधड़ी होती है, उसे हम अक्सर समझ ही नहीं पाते। उर्वरक में मिलावट के कारण हर साल किसानों को जो चूना लगता है, उससे कई कई किसान तो पूरे साल भी नहीं उबर पाते। कई बार डीएपी में पत्थर मिले होते हैं तो यूरिया में भी मिलावट होती है। सबसे ज्यादा मिलावट महंगे उर्वरकों जैसे डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) में होती है। लेकिन थोड़ी सी जानकारी से हम बड़े नुकसान से बच सकते हैं। आज हम जानेंगे उर्वरक में मिलावट की पहचान कैसे करें…?
डीएपी
डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये फूल जाते हैं तो समझ लें यह असली है। इसी तरह डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझ लें कि यह डीएपी असली है। डीएपी में अक्सर सुपर फस्फेट की मिलावट की जाती है। सुपर फास्फेट के दाने गर्म करने पर पिघलते नहीं हैं।
यूरिया
यूरिया पानी में पूरी तरह घुलनशील है, वैसे ही जैसे पानी में शक्कर या नमक। इसका घोल छूने में ठंडा लगता है। यूरिया के दाने तवे पर गर्म करने पर पिघल जाते हैं। आंच तेज करने पर पूरा दाना जल जाता है, कोई अवशेष नहीं बचता।
पोटाश
पोटाश के कुछ दानों पर पानी की बूंदे डालें यदि ये आपस में चिपकते नहीं हैं तो समझ लीजिए यह असली पोटाश है।
सुपर फास्फेट
सुपर फास्फेट के दाने सख्त तथा भूरे काले बादामी रंग के होते हैं, जो गर्म करने पर फूलते नहीं। सुपर फास्फेट डीएपी से लगभग पॉंच गुना सस्ता होता है। इसलिए इसे अक्सर डीएपी में मिलावट के तौर पर प्रयोग किया जाता है। सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से नहीं टूटता।
जिंक सल्फेट
जिंक सल्फेट में मुख्य रूप से मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार अवशेष बचता है जबकि डीएपी के घोल में मैग्नीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नहीं होता।